RBI Bulletin: गर्मी और जलाशयों में पानी की कमी के चलते सब्जियों-फलों के फसल पर असर संभव, खाद्य महंगाई से राहत नहीं
RBI Update: एक तो पहले ही साग-सब्जियों और दालों की महंगाई बढ़ी हुई है. उसपर से देश में पड़ रही भयंकर गर्मी के चलते महंगाई के और बढ़ने की आशंका गहरा गई है.
RBI Bulletin: देश में भीषण गर्मी और हीटवेव देखा जा रहा है जिसके चलते आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने का खतरा है. आरबीआई ने जून महीने के बुलेटिन में कहा है कि इस भीषण गर्मी के सीजन और जलाशयों में पानी की कमी के चलते सब्जियों और फलों की फसल प्रभावित हो सकती है. बुलेटिन में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत ने कहा कि दालों की रबी फसल की आवक और सब्जियों की कीमतों पर कड़ी निगरानी रखे जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ग्लोबल फूड प्राइसेज बढ़ने लगी है साथ ही इंडस्ट्रियल मेटल्स की कीमतों में मौजूदा वर्ष में डबल डिजिट ग्रोथ देखा गया है. अगर कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही तो कंपनियों की लागत बढ़ सकती है.
खाद्य महंगाई बनी हुई चिंता का कारण
आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक साउथवेस्ट मानसून (Southwest Monsoon) का पहले आना कृषि क्षेत्र के लिए शानदार साबित हो सकता है. लेकिन बुलेटिन में महंगाई को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक कोर कॉम्पोनेंट के प्राइसेज में कमी के चलते हेडलाइन इंफ्लेशन में कमी आई है लेकिन खाद्य वस्तुओं (Food Items) की ऊंची कीमत और कीमतों में उठापटक के चलते महंगाई से राहत मिलने की राह में रूकावटें पैदा हो रही है.
केरल में पहले पहुंचा मानसून
बुलेटिन में कहा गया कि केरल में साउथवेस्ट मानसून अनुमान से दो दिन पहले पहुंच गया और मौसम विभाग की भविष्यवाणी सच साबित हुई. समय पर मानसून के आने से खरीफ फसलों की बुआई में मदद मिलेगी तो जलाशयों को भरा जा सकेगा जिसके चलते 2024-25 कॉप ईयर ( जुलाई - जून) में 340 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन के टारगेट को पूरा किया जा सकेगा. मानसून सीजन के पहले दौर में अल नीनो (El Nino) का हालात न्यूट्रल रह सकता है.
पहली तिमाही में शानदार रहेगा GDP ग्रोथ रेट
बुलेटिन में उम्मीद जाहिर करते हुए कहा है कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही अप्रैल से जून के दौरान जीडीपी ग्रोथ (GDP GRowth) की रफ्तार का आंकड़ा वहीं रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के दौरान देखने को मिला था. बुलेटिन के मुताबिक 2023-24 में देश के रियल जीडीपी ग्रोथ 2016-17 के बाद सबसे ज्यादा रहा है जिसने सभी अनुमानों को चौंका दिया है. बुलेटिन के मुताबिक 2003-19 के दौरान 7 फीसदी औसतन जीडीपी ग्रोथ रहा था जो 2021-24 में घरेलू कारणों के चलते 8 फीसदी से ज्यादा रहा है.
बढ़ रहा निजी खपत
रिपोर्ट के मुताबिक आंकड़े बता रहे कि निजी खपत में बढ़ोतरी डिमांड को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है और ग्रामीण इलाकों में भी डिमांड बढ़ रही है. जनकल्याण पर किए जाने वाले खर्च में बढ़ोतरी के चलते एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की मांग में तेजी आ सकती है. बुलेटिन के मुताबित देश में हीटवेव के चलते लोग शॉपिंग नहीं करने जा पा रहे जिसकी भरपाई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म कर रहे.