Household Expenditure: नॉन फूड आइटम पर खर्च से लोगों की हालत पतली, शौक पर महंगाई की मार दे रही चोट
Domestic Consumption Pattern: हमारी आमदनी का आधे से भी काफी कम पैसा निवाले की जुगाड़ में खर्च होता है. ज्यादा खर्च तो नॉन फूड आइटम का है.
Consumer Survey: महंगाई की मार से हम सभी परेशान हैं. रोजमर्रा की जरूरतों के भी लाले पड़ रहे हैं. परंतु, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह जद्दोजहद खाने से ज्यादा शौक पर महांगाई की मार के कारण है. निवाले की जुगाड़ में हमारी आमदनी का आधे से भी काफी कम पैसा खर्च होता है. ज्यादा खर्च तो नॉन फूड आइटम पर खर्च का है. शहरी और ग्रामीण दोनों ही तरह के परिवारों में 2022-23 की तुलना में मासिक घरेलू खपत पर होने वाला खर्च बढ़ गया है. इनमें नॉन फूड आइटम पर सबसे ज्यादा खर्च हो रहा है. दैनिक जरूरतों पर होने वाले खर्च की खाई टॉप पांच फीसदी और समाज के सबसे निचले पायदान पर जीने वाले बॉटम पांच फीसदी के बीच बढ़ती ही जा रही है.
सालभर में डेढ़ गुना हो गया घरेलू खपत पर प्रति व्यक्ति खर्च
शुक्रवार को जारी हाऊसहोल्ड कंज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे के मुताबिक सालभर में हर महीने घरेलू खपत पर होने वाला खर्च डेढ़गुना हो गया है. 2022-23 में यह प्रति व्यक्ति औसत 4,122 रुपया था. जो 2023-2024 में बढ़कर 6,998 रुपया हो गया है. यह स्थिति तब है, जबकि विभिन्न समाज कल्याण कार्यक्रमों के जरिए मुफ्त में भी कई तरह की सामग्री की आपूर्ति परिवारों के लिए की जा रही है. 2022-23 में ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 3773 रुपया और शहरी इलाकों में 6459 रुपया था. ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च में नौ फीसदी और शहरी इलाकों में आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. सरकारी योजनाओं से मुफ्त में मिलने वाली सामग्री को भी मासिक घरेलू खर्च में शामिल कर लिया जाय तो 2023-24 में प्रति व्यक्ति घरेलू मासिक खर्च ग्रामीण इलाकों में 4247 रुपया और शहरी इलाकों में 7078 रुपया हो गया.
कपड़ों और ड्यूरेबल गुड्स पर होते हैं ज्यादा खर्च
भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक परिवारों का औसत खर्च कपड़ों, फुटवियर, मनोरंजन के साधन और ड्यूरेबल गुड्स पर है. शहरी इलाकों में मकान किराये पर सात फीसदी तक खर्च होता है.
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