रियल एस्टेट सेक्टर ने हाल-फिलहाल कई मुश्किल सालों का सामना किया है. पिछले कुछ सालों के दौरान इस सेक्टर को एक के बाद एक कई झटके लगे हैं. नोटबंदी, जीएसटी, रेरा, कोरोना महामारी और रियल एस्टेट डेवलपरों के डिफॉल्ट ने पूरे सेक्टर को लंबे समय तक परेशान किया. हालांकि अब ऐसा लग रहा है कि रियल एस्टेट सेक्टर के अच्छे दिन ज्यादा दूर नहीं रह गए हैं. हाल के दिनों में सेक्टर के लिए स्थितियां तेजी से सुधरी हैं.


नारेडको और केपीएमजी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का रियल एस्टेट सेक्टर वृद्धि के मजबूत संकेत दिखा रहा है. वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर का साइज 200 बिलियन डॉलर का था. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह साइज बढ़कर 2024-25 तक 1 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच सकता है. आइए जानते हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर खासकर हाउसिंग को लेकर कैसे इशारे मिल रहे हैं...


घरों की मांग का ट्रेंड (Housing Demand)


सबसे पहले घरों की मांग का ट्रेंड जानते हैं. पिछला साल रेसिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छा साबित हुआ था. साल 2022 के दौरान रेसिडेंशियल रियल एस्टेट सेक्टर में नई बिक्री का नया रिकॉर्ड बन गया. इस दौरान बिक्री में 68 फीसदी की शानदार ग्रोथ दर्ज की गई. अच्छी बात यह रही कि छोटे व मंझोले शहरों से अच्छी मांग निकलकर आने लगी है, जो बेहतर भविष्य का सबसे मजबूत इशारा है. बड़े शहरों का ट्रेंड भी अच्छा है. एनारॉक की एक रिपोर्ट बताती है कि 2023 की पहली तिमाही के दौरान देश के सात बड़े शहरों में घरों की मांग बढ़कर 1.14 लाख यूनिट पर पहुंच गई, जो साल भर पहले 99,500 यूनिट रही थी. वहीं नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि देश के 8 बड़े शहरों में पिछले वित्त वर्ष के दौरान घरों की बिक्री 34 फीसदी बढ़ी.


घरों का बढ़ता आकार (House Size Increases)


एनारॉक की ही एक अलग रिपोर्ट बताती है कि देश में नए घरों की जो डिमांड आ रही है, वह बड़े घरों की ज्यादा है. पिछले पांच सालों के दौरान नए घरों का साइज 7 फीसदी बढ़ा है. देश के सात बड़े शहरों में घरों का औसत साइज अब बढ़कर 1,225 वर्गफीट हो गया है, जो 2018 में करीब 1,150 वर्गफीट हुआ करता था.


विदेशी निवेश (Foreign Investment)


रियल एस्टेट सेक्टर के लिए निवेश एक बड़ी समस्या बन गई थी, लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब इस मामले में भी दिक्कतें दूर होने वाली हैं. साल 2017 से 2022 के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने इसमें 26.6 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.


प्राइवेट इक्विटी निवेश (PE Investment)


निवेश के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर यह है कि एफपीआई के साथ-साथ पीई इन्वेस्टमेंट भी बढ़ रहा है. इंटरनेशनल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट सेविल्स के अनुसार, साल 2022 के अंत तक भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टमेंट 3.4 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था. इस तरह से कोविड के बाद पहली बार पीई इन्वेस्टमेंट इस स्तर पर पहुंचा है.


ब्याज दर (Interest Rate)


पिछले एक साल के दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 2.50 फीसदी की वृद्धि की, जिसके बाद लगभग सभी बैंकों ने कमोबेश इसी अनुपात में होम लोन को महंगा किया. ब्याज दरें बढ़ने के बाद भी घरों की बिक्री में तेजी देखी जा रही थी. अब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाने के क्रम को रोक दिया है. अप्रैल और जून 2023 की एमपीसी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखा गया है. इससे आने वाले दिनों में बैंक ब्याज दरों को कम कर सकते हैं. यह हाउसिंग सेक्टर के लिए बूस्टर का काम कर सकता है.


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