नई दिल्ली: हर किसी का ये सपना होता है कि उसके पास अपनी एक कार हो. वहीं अपने सपने को साकार करने के लिए कई बार लोग कार लोन भी लेते हैं. कार लोन के जरिए लोग अपनी जरूरत के मुताबिक कार को तुरंत कर लेते हैं और बाद में कार लोन की किस्त समय-समय पर चुकाते रहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर एक कार लोन आपको कितना महंगा पड़ता है?


कार लोन आमतौर पर तीन से पांच साल के होते हैं लेकिन कुछ कर्जदाता सात साल तक के लिए भी कर्ज दे सकते हैं. ज्यादा वक्त तक लोन का मतलब छोटी समान मासिक किस्तों (ईएमआई) से हो सकता है, जिससे कार अधिक सस्ती लगती है. हालांकि कुल मिलाकर लोग ब्याज के तौर पर ज्यादा भुगतान करते हैं. लंबे वक्त तक कार लोन लेने से ब्याज के तौर पर ज्यादा राशि का भुगतान लोन लेने वाला शख्स कर देता है.


इस बात का रखें ध्यान


इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि कार एक ऐसी संपत्ति है, जिसकी वैल्यू घटती रहती है. ऐसे में एक बड़ा कार लोन लेना कभी भी समझदारी वाला फैसला नहीं कहा जा सकता है. वहीं दूसरी तरफ अगर छोटी अवधि के लिए कार लोन लिया जाता है तो ईएमआई ज्यादा होगी और नॉन-पेमेंट क्रेडिट रिपोर्ट को नुकसान पहुंचाएगी.


दरअसल, कुछ ऋणदाता कार की पूरी एक्स-शोरूम कीमत का लोन देते हैं. जबकि बाकी 80% तक लोन की पेशकश कर सकते हैं. कार लोन पर दिए जाने वाले ब्याज के अलावा इस पर प्रोसेसिंग फीस और कई दूसरे चार्ज भी लगते हैं. जिससे कार लोन और ज्यादा महंगा हो जाता है. ऐसे में कार लोन जितना कम हो और जितने कम वक्त के लिए लिया जाए, उतना ज्यादा फायदा का सौदा माना जाता है. वरना ज्यादा लोन अमाउंट और ज्यादा वक्त तक लोन लेने से कार लोन काफी महंगा साबित होता है.


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