भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. कर्ज में डूबे इस देश की मदद के लिए कोई देश भी आगे नहीं आ रहा है. अब उसकी आखिरी आस अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF पर टिकी हैं. 


लेकिन आईएमएफ की ओर से जो मदद देने की बात कही गई है उसमें कुछ शर्ते भी हैं. पाकिस्तान अगर इनको मान लेता है तो वहां की जनता को गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं. पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी बिजनेसमैन साजिद तरार ने ट्वीट के जरिए होने वाली परेशानियों पर चेताया है.


साजिद तरार ने कहा, 'आईएमएफ से डील दोधारी तलवार की तरह है. कल फैसला होना है.अगर मदद नहीं मिली तो परेशानी और अगर आईएमएफ की शर्तें मानीं तो भी परेशानी'. साजिद तरार ने कहा कि पाकिस्तान ने अगर शर्तें मान लीं तो दो करोड़ पाकिस्तानियों की नौकरियां चली जाएंगी. इसका नतीजा पाकिस्तान में गरीबी बढ़ जाएगी'.


साजिद तरार ने कहा कि गरीबी के कारण अपराध में भी बढ़ोतरी होगी. लोग अवैध तरीके से पैसा कमाने के रास्ते खोजेंगे. पुलिस पर पहले से ही दबाव है ऐसे में अपराध का बढ़ना पाकिस्तान के लिए और भी मुश्किलें खड़ी करेगा. मैन्युफैक्चरिंग बंद हो जाएगी तो मध्यम वर्ग को महंगाई से जूझना पड़ेगा. भ्रष्टाचार और कालेधन का खेल बढ़ जाएगा.


आईएमएफ ने क्या रखी हैं शर्तें
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से पाकिस्तान के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं. आईएमएफ ने कहा है कि अगर पाकिस्तान इन शर्तों को 9 फरवरी तक मान लेता है तो उसको 1.1 बिलियन डॉलर की मदद दे दी जाएगी. लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद कहा है कि जो शर्तें रखी हैं वो बहुत ही कठिन हैं.


आईएमएफ ने जो शर्तें रखी हैं उसके मुताबिक पाकिस्तान को कुछ कड़े फैसले लेने होंगे ताकि संस्था को विश्वास हो कि आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार कदम उठा रही है.


अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक आईएमएफ की ओर से वित्तीय घाटे को पूरा करने लिए 5 कदम उठाने के लिए कहा गया है. जिसमें पेट्रोल पर प्रतिलीटर 20-30 फीसदी तक लेवी बढ़ाने के लिए कहा गया है. अगर पाकिस्तान ये कदम उठाता है तो दाम 60-70 रुपये तक बढ़ जाएंगे.


इसके साथ ही 17 फीसदी जीएसटी पेट्रोलियम, तेल और लुब्रिकेंट उत्पादों पर लगाने का सुझाव दिया गया है. या फिर अध्यादेश के जरिए जीएसटी को 1 रुपये से सीधे 17 से 18 फीसदी करने के लिए कहा गया है. पाकिस्तान को शुगर से बने उत्पादों में 13 फीसदी से 17 फीसदी एक्साइज ड्यूटी बढ़ानी होगी.


पाकिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल
आईएमएफ की शर्तों की चर्चा पाकिस्तान में आम जनता के बीच भी हो रही है. लोगों को लग रहा है कि पाकिस्तान में बहुत जल्द ही पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छूने वाले हैं. इसको देखते हुए पेट्रोल पंपों में भीड़ लग गई है. 


जीओ टीवी में छपी खबर के मुताबिक फैसलाबाद, गुंजरवाला, सरगोधा, खुशाब, गोजराह जैसे तमाम शहरों में पेट्रोल पंपों में भीड़ लग गई है. 


वहीं कुछ लोगों ने ये भी शिकायत की है कि गैसोलाइन के पेट्रोलपंपों में बाइक सवारों को 200 रुपये और कार मालिकों को 500 रुपये तक का ही पेट्रोल दिया जा रहा है. वहीं पेट्रोलपंप मालिकों का कहना है कि सप्लाई ऊपर से ही बंद कर दी गई है. हालांकि पाकिस्तान के सरकार के मंत्रियों का कहना है कि अभी देश में 20 दिन का पेट्रोल और 25 दिन का डीजल बचा है.


आईएमएफ की शर्तों का पाकिस्तान पर क्या हो सकता है असर?



  1. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की शर्तों का विकासशील या गरीबों देशों की जनता पर हमेशा से बुरा असर पड़ता है. आइएमएफ किसी देश को इसी शर्त पर मदद करता है कि पहले उसकी ओर वहां की जनता को दी जा रही सरकारी सुख-सुविधाओं में कटौती करे. इसका पहला नतीजा ये होता है कि उस देश में बेतहाशा महंगाई बढ़ जाती है और वहां की मुद्रा की कीमत कम होना शुरू हो जाती है.

  2. आईएमएफ की शर्तों में ये भी कहा जाता है कि सरकार सामाजिक योजना में खर्च की राशि में कटौती करे साथ ही सरकारी नौकरियों में भी कमी करे. इससे बेतहाशा बेरोजगारी और गरीबी बढ़ जाती है.

  3. आईएमएफ कभी नहीं चाहता है कि कोई देश उससे पैसा लेकर सामाजिक सुरक्षा, पेट्रोलियम पर सब्सिडी जैसी चीजों पर खर्च करे. इसमें खाद्य सब्सिडी बड़ा मुद्दा है. गरीबी देशों की बड़ी आबादी सरकार के सस्ते अनाज के भरोसे रहती है. पाकिस्तान में भी यही हाल है अगर इससे सरकार इससे हाथ खींचती है हालात भयावह हो जाएंगे.

  4. आईएमएफ की शर्तों के मुताबिक सरकार को पूंजीगत व्यय में कटौती करनी है जैसे सरकारी पैसे से सड़क, पुल, रेलवे जैसी चीजों पर खर्च बंद करना होगा. अगर पाकिस्तान ऐसा होता है तो आर्थिक वृद्धि पूरी तरह से रुक जाएगी इसका असर ये होगा वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के दौर में ये देश पूरी तरह से अछूत हो जाएगा.

  5. आईएमएफ की शर्तों में सरकारी मेडिकल सुविधाओं में कटौती भी शामिल होती है. ऐसी स्थिति में गरीब जनता के लिए यह फैसला बहुत ही भारी साबित हो सकता है. यही बात शिक्षा के क्षेत्र में भी शामिल होती है. इसका असर ये होगा कि गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे न शिक्षा हासिल कर पाएंगे और न कोई स्किल.

  6. इसी तरह आईएमएफ की तमाम शर्तें किसी भी देश में गरीबी, आय में असमानता, बेतहाशा बेरोजगारी, बुनियादी चीजों में कमी लाती हैं साथ ही राजनीतिक और सामाजिक अराजकता को भी बढ़ावा देती हैं.


विदेशी मुद्रा भंडार 10 सालों में सबसे कम
इसी बीच पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि पिछले हफ्ते की तुलना में इसके विदेशी मुद्रा भंडार में 16.1 फीसदी तक गिरावट आ गई है. जो कि बीते 10 सालों में सबसे कम है. बता दें कि पाकिस्तान के रुपये में भारी गिरावट आ गई है. उसका भुगतान खाता गड़बड़ा गया है और इंपोर्ट बिल बहुत ज्यादा बढ़ गया है जिसकी वजह से आयात की जा रही चीजों की कीमतें बढ़ गई हैं जिसमें पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए हैं.


रूस ने भी चेताया
उधर भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने  एक अस्थिर पाकिस्तान, क्षेत्र में किसी भी देश के हित में नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने उन खबरों पर 'बहुत गंभीर संज्ञान' लिया है कि पाकिस्तान, यूक्रेन को सैन्य उपकरण भेज रहा है.


इस्लामाबाद के साथ मॉस्को के संबंध बेहतर होने पर भारत में चिंताओं पर एक सवाल के जवाब में अलीपोव ने कहा कि उनका देश कभी ऐसा कुछ नहीं करेगा, जो नयी दिल्ली के हितों के लिए हानिकारक हो सकता है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ रूस के रक्षा संबंध 'बहुत सीमित' हैं तथा व्यापक रूप से इसका मकसद आतंकवाद रोधी सहयोग है.