किसी भी इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते वक्त निवेशक को यह ध्यान रखना होता है कि इसका निवेश कितना लिक्विड है. आखिर निवेश की लिक्विडटी से क्या मतलब है. दरअसल निवेश की लिक्विडिटी से मतलब यह है कि आप किसी एसेट या इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश को कितनी जल्दी कैश में बदल सकते हैं. एफडी, ओपेन-एंडेड म्यूचुअल फंड, गोल्ड और शेयर ऐसे निवेश हैं, जिन्हें आप तुरंत बेच कर कैश हासिल कर सकते हैं. आप जितनी जल्दी अपने एसेट या निवेश को कैश में बदल लेते हैं, वही उसकी फाइनेंशियल लिक्विडिटी होती है. हर तरह के एसेट की फाइनेंशियल लिक्विडिटी अलग-अलग होती है. एसेट को कैश में बदलने की जरूरत तब पड़ती है जब आपको खर्च या निवेश करने के लिए पैसों की जरूरत होती है.
क्या है लिक्विडिटी लागत ?
जहां तक लिक्विडिटी की लागत का सवाल है तो जितनी कम लागत में किसी एसेट या फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में निवेश को कैश में बदल लिया जाए, वह उतना ज्यादा लिक्विड होता है. कुछ एसेट के साथ पेनल्टी और एग्जिट लोड होते हैं, जो उसकी लिक्विडिटी को बढ़ा देते हैं. लिहाजा निवेशक को यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि वह अपने निवेश का कुछ हिस्सा ऐसे एसेट या निवेश इंस्ट्रूमेंट में करेंगे, जहां तुरंत कैश की जरूरत पड़ने पर इसे बेच कर इसे हासिल कर सके. कई बार इमरजेंसी में कैश की जरूरत पड़ती है. इसलिए निवेशकों को इस पहलू का जरूर ध्यान रखना चाहिए.
लिक्विडिटी रेश्यो का भी रखें ध्यान
निवेशकों को लिक्विडिटी रेश्यो का भी ध्यान रखना चाहिए. लिक्विडिटी रेश्यो या इमर्जेंसी फंड रेश्यो, एक ऐसा रेश्यो है, जो यह बताता है कि कोई परिवार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए एसेट्स को कितनी आसानी से कैश में बदल सकता है. इसका पता करने के लिए कुल लिक्विड एसेट्स को घर के कुल मासिक खर्च से भाग दिया जाता है. निवेश सलाहकारों का कहना है कि आपके निवेश का एक हिस्सा ऐसे इंस्ट्रूमेंट में होना चाहिए,जिससे आपको इमरजेंसी में कैश की जरूरत हो तो इसे बेच कर अपनी जरूरत पूरी कर सकें. इमरजेंसी फंड आपको आड़े वक्त में काफी मदद करता है.
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