क्रेडिट स्कोर आज के समय में काफी महत्वपूर्ण हो गया है. आपको किसी अचानक पड़ी जरूरत के लिए पर्सनल लोन लेना है, नई गाड़ी खरीदने के लिए कार लोन लेना है या अपने घर का सपना पूरा करने के लिए होम लोन की जरूरत है, हर मौके पर आपको क्रेडिट स्कोर की जरूरत पड़ने वाली है. इस कारण क्रेडिट स्कोर की अहमियत बढ़ जाती है.
क्या है क्रेडिट स्कोर और रिपोर्ट
क्रेडिट स्कोर कई तरह के होते हैं. सिबिल, इक्विफैक्स, एक्सपीरियन जैसे अलग-अलग क्रेडिट ब्यूरो अपना-अपना क्रेडिट स्कोर तैयार करते हैं. भारतीय बैंकों में सबसे ज्यादा सिबिल के क्रेडिट स्कोर को एक्सेप्ट किया जाता है. सिबिल की ओर से बैंकों व वित्तीय संस्थानों को क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट मुहैया कराई जाती है. बैंक आपके क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट के आधार पर तय करते हैं कि आपको लोन देना चाहिए या नहीं. क्रेडिट कार्ड लेने में भी इनकी जरूरत पड़ती है.
इन कारणों से खराब होती है रिपोर्ट
क्रेडिट स्कोर कई फैक्टर पर निर्भर करता है. अगर लोन की किस्त चुकाने में देरी होती है, कोई बकाया सेटल किया जाता है या क्रेडिट कार्डों की पूरी लिमिट यूज की जाती है तो क्रेडिट स्कोर गिर जाता है. हालांकि जैसे ही लोग इन चीजों को दुरुस्त करते हैं, स्कोर सुधरने लगता है. हालांकि क्रेडिट रिपोर्ट में ये खामियां लंबे समय के लिए दर्ज हो जाती हैं. आइए जानते हैं कि रिपोर्ट से हटने में कितना समय लगता है...
रिपोर्ट ठीक होने में इतना समय
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिबिल की क्रेडिट रिपोर्ट को ठीक होने में 7 साल का समय लग सकता है. अगर आपने कोई पेमेंट करने में देरी कर दी यानी ड्यू डेट तक पेमेंट नहीं कर पाए, तो यह जानकारी सात साल के लिए आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज हो जाती है. इसी तरह अगर आपने डिफॉल्ट किया या बैंक के साथ बकाए पर सेटलमेंट किया तो ये बातें भी रिपोर्ट में सात साल तक दिखती रहती हैं. बैंकरप्सी और कोर्ट जजमेंट जैसी जानकारियां भी रिपोर्ट में सात सालों तक रहती हैं.
इस स्कोर को माना जाता है अच्छा
सिबिल क्रेडिट स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच में होता है. आम तौर पर 700 से ऊपर के सिबिल स्कोर को अच्छा माना जाता है. कई बैंक 750 से ऊपर के स्कोर को अच्छा मानते हैं. क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट के आधार पर बैंक इस बात का पता लगाते हैं कि संबंधित ग्राहक कर्ज की किस्तें चुकाने में कितना सक्षम है और कितना ईमानदार है. क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर ग्राहकों को कम ब्याज दर का भी लाभ मिलता है.
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