How To Avoid TDS On Dividend: कई तरह के भुगतान के समय पूरी रकम का एक तय हिस्सा टीडीएस (TDS) के रूप में कट जाता है. किसी कंपनी के शेयरों से लाभांश के रूप में होने वाली कमाई का भुगतान भी इनमें शामिल है. जब भी कोई कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को लाभांश का भुगतान करती है, तो उसमें पहले ही टीडीएस कट जाता है. हालांकि इसे बचाया जा सकता है.


ज्यादा पुरानी नहीं है व्यवस्था


लाभांश से होने वाली कमाई पर टीडीएस की व्यवस्था ज्यादा पुरानी नहीं है. इसके लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 194 के तहत प्रावधान किया गया है. लाभांश पर टीडीएस काटे जाने की व्यवस्था 01 अप्रैल 2020 से यानी वित्त वर्ष 2020-21 से अमल में आई है. उसके बाद से हर साल लाभांश देने वाली तमाम कंपनियों के शेयरहोल्डर्स अपनी कमाई का एक हिस्सा टीडीएस के रूप में देते हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप इस कटौती को कम कर सकते हैं.


इससे ज्यादा कमाई पर टीडीएस


अगर आपको किसी भी एक वित्त वर्ष के दौरान डिविडेंड से 5000 रुपये से ज्यादा कमाई हो रही है, तो 10 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा. हालांकि अगर डिविडेंड जोड़कर आपकी कुल कमाई छूट की लिमिट से नीचे है तो आप फॉर्म 15जी/15एच जमा कर सकते हैं, जिसके बाद आपकी कमाई पर टीडीएस नहीं कटेगा.


म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स के उपाय


म्यूचुअल फंड के इन्वेस्टर्स के पास इसके अलावा भी टीडीएस बचाने के उपाय हैं. ऐसे इन्वेस्टर्स टीडीएस बचाने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम्स से होने वाली कमाई को लाभांश के बजाय एसडब्ल्यूपी सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. एसडब्ल्यूपी सुविधा म्यूचुअल फंड स्कीम से पैसे निकालने का एक तरीका है और इस तरह की सभी निकासी में मूल धन के अलावा कैपिटल गेन भी शामिल होता है. ऐसे मामलों में इन्वेस्टर्स को अवधि के हिसाब से शॉर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भरना होता है.


चुन सकते हैं ये राह भी


टीडीएस से बचने का एक और तरीका है कि आप डिविडेंड देने वाले शेयरों व म्यूचुअल फंड्स के बजाय ग्रोथ ऑप्शंस पर ध्यान दें. ऐसे मामलों में कंपनियां या म्यूचुअल फंड मूल धन पर हुए मुनाफे को डिविडेंड के रूप में लौटाने के बजाय वापस बिजनेस में लगा देते हैं, यानी इन्वेस्ट कर देते हैं. इस कारण ऐसे मामलों में टीडीएस नहीं लगता है.


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