अपना घर खरीदना (Home Buying) काफी अहम निर्णय होता है. बिल्डरों के विज्ञापन या कही-सुनी बातों के आधार पर घर खरीदकर अक्सर लोगों को पछताना पड़ जाता है. इस कारण यह जरूरी है कि आप अपना घर खरीदने का निर्णय लेने से पहले कुछ जरूरी बातों पर गौर कर लें. घर खरीदना एक ऐसा निर्णय है, जो कई सालों की तैयारी के बाद लिया जाता है. एक बार घर खरीद लेने के बाद उसे बदल पाना आसान नहीं होता है. ऐसे में तमाम फैक्टर्स पर अच्छे से सोच-विचार कर लेने के बाद ही घर खरीदना चाहिए. आइए जानते हैं कि घर खरीदने का निर्णय लेते समय किन आधारभूत बातों पर गौर करना जरूरी है...
खरीदे जा रहे घर की लोकेशन (Location)
चाहे शहर हो या गांव, घर खरीदने के लिए सबसे पहली जरूरी चीज लोकेशन का चयन है. खास कर अगर आप शहर में घर खरीद रहे हैं, तब यह और भी अहम हो जाता है. घरों की बढ़ती कीमतें और अच्छी लोकेशन पर कम इन्वेंट्री के कारण इसमें दिक्कतें तो आती हैं, लेकिन सही लोकेशन में घर न खरीदना बड़ी गलती साबित हो सकता है. आप जहां घर खरीद रहे हैं, अगर वहां बसावट कम है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाएं नहीं हैं, तो ऐसी जगह पर सस्ते के चक्कर में घर मत खरीदें. इससे आपके रोज आने-जाने का खर्च बढ़ेगा और समय भी बर्बाद होगा. साथ ही, प्रॉपर्टी की कीमत भी नहीं बढ़ेगी, तो इन्वेस्टमेंट के लिहाज से भी घर खरीदना ठीक नहीं होगा.
होम लोन का गुना-भाग (Home Loan Offers)
घर खरीदने या बनाने के लिए बैंकों व एनबीएफसी से आसानी से होम लोन मिल जाता है. होम लोन के लिए बैंक से प्री-अप्रूवल लेना अच्छा रहता है. लोन चुकाने की आपकी क्षमता का आकलन करके बैंक बताते हैं कि आपको कितना लोन मिल सकता है. इससे आपको तैयारी करने में मदद मिलती है. यह भी पता चल जाता है कि कितना डाउन पेमेंट के लिए कितना फंड जुटाना पड़ेगा. एक से ज्यादा बैंकों से इस बारे में बात करने पर बेहतर ऑफर मिलने के भी चांसेज रहते हैं. हो सकता है कोई अन्य बैंक आपको ज्यादा फाइनेंस कर दे, या ब्याज पर कुछ रियायत मिल जाए.
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डाउन पेमेंट व अन्य खर्च (Down Payment and Other Costs)
TV, अखबार या सोशल मीडिया पर विज्ञापन देख घर लोग ऐसा सोच लेते हैं कि उन्हें सिर्फ बेस प्राइस के बराबर रकम की जरूरत है, जो प्रति वर्गमीटर या वर्गफुट में दिखाया जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. आपको स्वीमिंग पूल, क्लब मेंबरशिप और पार्किंग समेत अन्य चार्ज भी देने होते हैं. अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट लेने पर GST भरना होता है. इसके अलावा, कम से कम एक साल का एडवांस मेंटेनेंस, स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज देना होता है. इनमें मोटी रकम खर्च होती है और बैंक इन खर्चों के लिए फाइनेंस नहीं करते हैं. आपको खुद ही इसकी व्यवस्था करने की जरूरत होती है.
बिल्डर पर न करें आंख बंद कर भरोसा (Builder's Offerings)
घर बेचते वक्त बिल्डर तमाम वादे करते हैं. हालांकि बाद में पता चलता है कि इनमें से कई वादे खोखले थे. ऐसे में घर खरीदने से पहले आपको बिल्डर से सारी सुविधाओं की जानकारी लिखित में लेनी चाहिए. मौखिक दावों को कानूनी तौर पर चुनौती नहीं दी जा सकती है. बिल्डर को संबंधित अथॉरिटी से ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट मिला है या नहीं, प्रोजेक्ट रेरा में रजिस्टर है या नहीं... इन बातों को जरूर परख लें. रजिस्ट्री के बारे में भी जानकारी जुटा लेना जरूरी है.