Revised ITR Filing: इनकम टैक्स विभाग इन दिनों सख्त हो गया है. ऐसे में आयकर रिटर्न भरते समय टैक्सपेयर्स इस बात का ख्याल रखते हैं वो आईटीआर में अपने इनकम की सही जानकारी उपलब्ध करायें. कई बार टैक्सपेयर्स बैंक खाते में डिपॉजिट से होने वाले ब्याज इनकम की सही जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाते हैं या फिर गलत डिडक्शन क्लेम कर लेते हैं. ऐसा आपके साथ भी हुआ है तो आपको परेशान होने की जरुरत नहीं है. इतना ही नहीं इनकम टैक्स विभाग से अगर आपको कम रिफंड आता है तो उसके खिलाफ अपील करने का भी प्रावधान है.
139(5) के तहत भर सकते हैं रिवाइज्ड रिटर्न
इनकम टैक्स कानून के तहत आयकर रिटर्न दाखिल करने के बावजूद आप फिर से अपने आईटीआर को दुरुस्त कर सकते हैं. इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 139(5) के तहत टैक्सपेयर्स रिवाईज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर आईटीआर में की गई गलतियों में सुधार कर सकते हैं. इस कानून के मुताबिक आईटीआर दाखिल करने के बाद अगर टैक्सपेयर को लगता है कि उससे कुछ घोषित करना छूट गया है या फिर कोई चूक हुई है तो वो रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल कर आईटीआर को ठीक कर सकता है.
प्रोसेसिंग - रिफंड मिलने पर भी भर सकते हैं रिवाइज्ड रिटर्न
टैक्सपेयर्स के लिए राहत की बात ये है कि भले ही उनके इनकम टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग हो गई हो, इसके बावजूद सेक्सन 139(5) के तहत वे ऑनलाइन जाकर रिवाइज्ड रिटर्न फाइल कर सकते हैं. ऐसे भी हो सकता है कि किसी टैक्सपेयर के आईटीआर की प्रोसेसिंग हो गई हो और उसे रिफंड जारी कर दिया गया हो. ऐसे मामलों में रिफंड मिलने के बाद भी टैक्सपेयर आईटीआर में सुधार करने के लिए रिवाइज्ड रिटर्न भर सकते हैं.
31 दिसंबर तक भर सकते हैं रिवाइज्ड रिटर्न
आपको बता दें एसेसमेंट ईयर के खत्म होने के तीन पहले पहले तक रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है. उदाहरण के लिए मौजूदा एसेसमेंट ईयर 2023-24 के मामले में आपने आयकर रिटर्न दाखिल किया जिसमें कुछ गलती हो गई है तो 31 दिसंबर 2023 तक आप रिवाइज्ड आईटीआर दाखिल कर सकते हैं. देरी से आईटीआर (Belated ITR) दाखिल करने वाले टैक्सपेयर भी रिवाइज्ड आईटीआर फाइल कर सकते हैं. 2019-20 तक 31 मार्च तक रिवाइज्ड रिटर्न भरने की सुविधा थी जिस समय सीमा को सरकार ने तीन महीने कम दिया और उसे घटाकर 31 दिसंबर कर दिया गया.
कम रिफंड आने पर क्या करें?
मान लिजिए आपने आईटीआर भरा और आपने जितना इनकम टैक्स रिफंड क्लेम किया था उससे कम टैक्स रिफंड आता है तो इसके लिए भी इनकम टैक्स कानून में विभाग के पास अपील करने का आपको अधिकार है. किसी टैक्सपेयर के फॉर्म 26एएस में टीडीएस क्रेडिट होने के बावजूद अगर किसी टैक्सपेयर का कम टैक्स रिफंड आता है तो वो इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 154 के तहत रेक्टिफिकेशन रीक्वेस्ट (Rectification Request) फाइल कर बैलेंस टैक्स रिफंड के लिए क्लेम कर सकता है. इनकम टैक्स विभाग टैक्सपेयर्स के अनुरोध के अध्ययन करने के बाद उसे बकाया रिफंड जारी कर सकता है.
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