लाखों नौकरी-पेशा लोग अपना घर छोड़कर नौकरी के लिए दूसरे शहर में किराए पर रहते हैं. ऐसे लोग आयकर कानून के तहत, किराए में दिए पैसों पर टैक्स छूट ले सकते हैं. हालांकि इसके साथ कुछ शर्तें जुड़ी होती हैं. जब आप एचआरए क्लेम करते हैं तो कई बार मकान मालिक के पास पैन नहीं होता है. कई मामलों में मकान मालिक पैन नंबर देने से मना कर देता है. ऐसे में आपको बता दें कि मकान मालिक के पास पैन कार्ड नहीं है या देने से मना कर दे तो भी एचआरए क्लेम किया जा सकता है. आइए जानते हैं, कैसे...
इन मामलों में मिलेगा टैक्स लाभ
हाउस रेंट अलाउंस यानी एचआरए क्लेम करने की कंडीशन यह है कि आपको इम्प्लॉयर यानी अपनी कंपनी से एचआरए मिल रहा हो. मतलब एचआरए आपकी सैलरी का हिस्सा होना चाहिए. इसके अलावा, आप जिस घर में रह रहे हैं उसका किराया भर रहे हों. वो घर आपका नहीं होना चाहिए.
इस तरह से होगा कैलकुलेशन
एचआरए छूट का कैलकुलेशन तीन चीजों पर निर्भर करता है. पहली, एचआरए के रूप में मिली वास्तविक रकम. दूसरी, मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी+डीए का 50 फीसदी और नॉन-मेट्रो शहर में बेसिक+डीए का 40 फीसदी और तीसरी किराए की वास्तविक रकम से बेसिक सैलरी+डीए का 10 फीसदी घटाने के बाद आने वाली रकम. तीनों में जो कम होगी, उस रकम पर टैक्स छूट मिलेगी. एचआरए की रकम को सैलरी से हुई इनकम से घटा दिया जाता है. इस तरह टैक्स बचाने में मदद मिलती है.
इससे ज्यादा किराया होने पर लगता है पैन
एचआरए पर टैक्स छूट के लिए आपको किराए की रसीद और रेंट एग्रीमेंट इम्प्लॉयर को देना होता है. अगर सालाना किराया एक लाख रुपये यानी महीने का किराया 8,333 रुपये से ज्यादा है, तो केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी के सर्कुलर के मुताबिक, कर्मचारी को मकान मालिक का पैन नंबर देना अनिवार्य है. अगर मकान मालिक के पास पैन नहीं है तो भी कर्मचारी एचआरए क्लेम कर सकता है.
पैन कार्ड नहीं होने पर कर सकते हैं ये काम
ऐसे में कर्मचारी के पास दो विकल्प हैं. पहला यह है कि उसे कंपनी में डिक्लेरेशन जमा करना होगा, जिसे कर्मचारी को मकान मालिक से भरवाना होगा. इसमें मकान मालिक का नाम, उम्र, समेत अन्य डिटेल देनी होती हैं. इसमें मकान मालिक पैन कार्ड नहीं होने की घोषणा करता है, जिसके बाद कंपनी इसे एक्सेप्ट करती है.
टैक्सपेयर के पास रहता है ये भी विकल्प
इस बात के भी आसार हैं कि कंपनी डिक्लेरेशन को न माने. ऐसे में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय कर्मचारी एचआरए क्लेम कर सकता है. हालांकि, इस केस में कर्मचारी को स्क्रूटनी का नोटिस आ सकता है. चूंकि कंपनी की ओर से फॉर्म-26एएस में रिपोर्ट की गई इनकम और कर्मचारी की ओर से फाइल किए गए रिटर्न में इनकम में अंतर दिखेगा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस अंतर के बारे में पूछ सकता है. उस समय कर्मचारी के पास मकान मालिक के डिक्लेरेशन के साथ किराए की रसीद और रेंट एग्रीमेंट होना चाहिए.
इस डॉक्यूमेंट का जरूर रखें ध्यान
कई बार मकान मालिक पैन नंबर देने से मना कर देते हैं या फिर कैश में किराया लेते हैं. ऐसे में रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट मदद कर सकता है. रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन के लिए मकान मालिक और किराएदार का नाम, पता, एग्रीमेंट की अवधि, किराए की रकम के साथ पैन कार्ड समेत आईडी प्रूफ की जरूरत पड़ती है. एचआरए क्लेम करने में रेंट एग्रीमेंट का इस्तेमाल करते ही आयकर विभाग के पास मकान मालिक के पैन की जानकारी पहुंच जाएगी. इसके अलावा, कर्मचारी को किराए का पेमेंट कैश के बजाए चेक, नेट बैंकिंग या यूपीआई से करना चाहिए.
इन सावधानियों से मिलेगी मदद
एचआरए क्लेम करने के लिए रेंट एग्रीमेंट और किराए की रसीद (रेंट रिसीप्ट) जरूरी है. प्रॉपर रेंट एग्रीमेंट और बैंकिंग चैनल के जरिए पेमेंट करने से कर्मचारी को एचआरए क्लेम करने में सहूलियत होगी. साथ ही रेंट से होने वाली ये कमाई मकान मालिक के एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट में दिखेगी. ऐसे में मकान मालिक को टैक्स भरना होगा. वरना इसे टैक्स चोरी माना जा सकता है.
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