कोरोना की दूसरी लहर का अर्थव्यवस्था पर कैसा रहेगा प्रभाव? मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया
दूसरी लहर से निपटने को लेकर पहले के मुकाबले काफी जानकारी है और इस बात की आशंका कम है कि भारत राष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ लगाएगा. उसके आधार पर पर हमने कुछ आंतरिक आकलन किये हैं. मुझे लगता है कि इसका प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं होगा.
नयी दिल्ली: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों ने देश में हंगामा बरपा कर दिया है. तादाद में वृद्धि से अस्पताल और मेडिकल सुविधाएं चरमरा गई हैं और भारत के खर्चे में जबरदस्त वृद्धि हुई है लेकिन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार के अनुमान में दूसरी लहर का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा पड़ने वाला नहीं है. के वी सुब्रमणियम ने गुरुवार को अपनी बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिये दूसरी लहर के बारे में अनुमान जताना एक वास्तविक समस्या है.
दूसरी लहर का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा नहीं
सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘...महामारी से संबद्ध कई शोधकर्ताओं ने यह अनुमान जताया है कि उसे मई के बाद आगे नहीं जाना चाहिए. उसके आधार पर पर हमने कुछ आंतरिक आकलन किये हैं. मुझे लगता है कि इसका प्रभाव बहुत ज्यादा नहीं होगा.’’ फाइनेंशियल टाइम्स और द इंडियन एक्सप्रेस के वेबिनार में उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी अर्थशास्त्रियों के लिये वास्तव में महामारी की भविष्यवाणी करना काफी मुश्किल है.’’ सीईए ने कहा कि जहां तक कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सवाल है, इससे निपटने को लेकर पहले के मुकाबले काफी जानकारी है और इस बात की आशंका कम है कि भारत राष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉकडाउन’ लगाएगा.
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने लगाया अनुमान
गौरतलब है कि कोरोना के मामलों में आए दिन रिकॉर्ड वृद्धि हो रही है, पिछले सभी आंकड़े पीछे छूटते चले जा रहे हैं. संक्रमण को काबू करने के लिए दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन का एलान किया है. महाराष्ट्र में पहले से ज्यादा पाबंदियों को और सख्त किया गया है. कई राज्यों में रात का कर्फ्यू लागू है और भीड़भाड़, शादी समारोह में ज्यादा लोगों के जुटने पर पाबंदी लगाई गई है.
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