नई दिल्लीः बजट पेश होने के ऐन 11 दिन पहले सरकार के लिए राहत भरी खबर है. क्योंकि एक सरकारी कंपनी ओएनजीसी ने दूसरी सरकारी कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम में सरकार की 51 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी करीब 37 हजार करोड़ रुपये में खरीदने का ऐलान किया है. इस तरह हिंदुस्तान पेट्रोलियम अब ओएनजीसी का हिस्सा होगा.


ओएनजीसी देश के विभिन्न हिस्सों में कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस निकालती है, वहीं हिंदुस्तान पेट्रोलियम कच्चे तेल से पेट्रोल-डीजल तैयार करती है और करीब 15 हजार पेट्रोल पंप के जरिए बेचती है. साथ ही हिंदुस्तान पेट्रोलियम रसोई गैस और हवाई ईंधन के अलावा दूसरे पेट्रोलिय उत्पादों की भी खुदरा बिक्री करती है.


ओएनजीसी के निदेशक बोर्ड ने अपनी बैठक में हिंदुस्तान पेट्रोलियम के 51.11 फीसदी शेयर खऱीदने के प्रस्ताव पर मंजूरी जता दी. इसके तहत 473.97 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से कीमत अदा की जाएगी. इस तरह ओएनजीसी कुल मिलाकर 36,915 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. उधर, इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली एक समिति ने शनिवार को मुहर लगा दी. इसके बाद सरकारी खजाने में 37 हजार करोड़ रुपये आने का रास्ता साफ हो गया.


ये खबर इसीलिए भी अहम है क्योंकि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के जरिए उम्मीद से कम कमाई ने सरकार की चिंता बढ़ा दी थी. ऐसी आशंका जतायी जाने लगी कि सरकारी खजाने का घाटा यानी फिस्क्ल डेफिसिट 3.2 फीसदी के बजटीय लक्ष्य से ज्यादा हो जाएगा. इसके बाद सरकार ने अचानक 50 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी का ऐलान भी कर दिया. लेकिन इसी हफ्ते सरकार ने सफाई दी की वो 50 हजार करोड़ रुपये के बजाए महज 20 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी करेगी. अब ये साफ हो गया है कि अतिरिक्त उधारी घटाने की क्या वजह रही.


विलय की भूमिका
फरवरी 2016 में एक समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी कंपनियों में केंद्र के निवेश की कुशल प्रबंधन पर जोर दिया था. इसी के तहत सरकारी कंपनियों के मिलाए जाने का प्रस्ताव तैयार हुआ. इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में तेल कंपनियों के एकीकरण का ऐलान किया. ताजा कदम इसी प्रस्ताव का हिस्सा है.


एचपीसीएल को मिलाए जाने के बाद ओएनजीसी देश में एक ऐसी तेल कंपनी बन जाएगी जो बाजार के हर हिस्से में मौजूद होगी. कंपनी की क्षमता बढ़ेगी और वो ज्यादा निवेश करने की स्थिति में होगी. साथ ही कच्चे तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के जोखिम का असर कम कर सकेगी.


ताजा फैसले के बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम में सरकार की सीधे हिस्सेदारी खत्म हो जाएगी. 31 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक हिंदुस्तान पेट्रोलियम में कुल मिलाकर 1.83 लाख से ज्यादा शेयरधारक थे. इसमें से 1.70 लाख छोटे शेयरधारक थे.


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