केंद्र सरकार ने आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. सरकार जल्दी ही आईडीबीआई बैंक के लिए एसेट वैल्युअर को नियुक्त करेगी. इसके लिए सरकार ने इच्छुक पार्टियों से बोलियां मंगाई है. इसके लिए 9 अक्टूबर तक बोली लगाई जा सकती है.


योजना के हिसाब से चल रहा काम


सरकारी दस्तावेज के अनुसार, चुने जाने वाले एसेट वैल्युअर को बैंक की संपत्तियों का मूल्यांकन करना होगा और बिक्री की पूरी प्रक्रिया के दौरान मदद मुहैया करानी होगी. इससे पहले मिंट की एक खबर में दावा किया गया था कि सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी की संभावित बिक्री को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है. हालांकि ताजे कदम से ऐसा लगता है कि सरकार पुरानी योजना के हिसाब से ही चल रही है.


ऐसी है सरकार की योजना


सरकार की योजना है कि दिसंबर तक आईडीबीआई बैंक के लिए फाइनेंशियल बिड इश्यू किए जाएं और चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक यानी मार्च 2024 तक आईडीबीआई बैंक की अपनी हिस्सेदारी बेच दे. इसके लिए जुलाई में प्रक्रिया की शुरुआत भी हो गई थी. अब एसेट वैल्युअर की नियुक्ति की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है.


आरबीआई से जल्द मंजूरी की उम्मीद


निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग यानी दीपम इस रणनीति बिक्री का काम संभाल रहा है. चूंकि यह रणनीतिक बिक्री एक बैंक से संबंधित है, इस पर रिजर्व बैंक की मुहर जरूरी है. अभी आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी की प्रस्तावित बिक्री को रिजर्व बैंक की मंजूरी नहीं मिली है. इस बारे में कहा जा रहा है कि रिजर्व बैंक के साथ बातचीत चल रही है और मंजूरी जल्दी ही मिल सकती है.


इस तरह से डील बनी आकर्षक


आईडीबीआई बैंक में सरकार की सीधी हिस्सेदारी 49 फीसदी की है, जबकि 51 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम के पास है. इस तरह देखें तो तकनीकी तौर पर आईडीबीआई बैंक अब सरकारी न होकर प्राइवेट सेक्टर का बैंक है. इसके अलावा सरकार ने डील को और आकर्षक बनाने के लिए फॉरेन फंड्स को भी आईडीबीआई बैंक में 51 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने की मंजूरी दे दी है.


इस वित्त वर्ष के प्रस्तावित सौदे


सरकार को आईडीबीआई बैंक की अपनी हिस्सेदारी को बेचकर 15 हजार करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है. इस वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 51 हजार करोड़ रुपये जुटाने का टारगेट सेट किया है. आईडीबीआई बैंक के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एनएमडीसी स्टील, बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और वाइजैग स्टील जैसी कंपनियों का निजीकरण प्रस्तावित है.


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