आईडीबीआई बैंक के विनिवेश (IDBI Bank Disinvestment) की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ा है. यह तय प्रक्रिया के हिसाब से ही अगे बढ़ी है. बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया टलने की खबरों का सरकार की ओर से शुक्रवार को खंडन किया गया.
दीपम सचिव ने किया ये ट्वीट
विनिवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव (DIPAM Secretary) के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस बारे में एक ताजा ट्वीट किया गया. ट्वीट में कहा गया, मीडिया के एक धड़े में आईडीबीआई बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया के टलने की खबरें आ रही हैं, जो भ्रामक और आधारहीन हैं. यह सौदा तय प्रक्रिया के हिसाब से आगे बढ़ रही है और इसके लिए कई ईओआई प्राप्त हुए हैं.
खबरों में किया गया ये दावा
दीपम सचिव ने यह खंडन तब जारी किया है, जब कई मीडिया रपटों में कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार आईडीबीआई बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया को टाल सकती है. खबरों में कहा जा रहा था कि सरकार को बाजार में जारी उथल-पुथल के चलते संभावित खरीदारों के पीछे हट जाने की आशंका है.
सरकार को सौदे से ये उम्मीद
सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी 30.48 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास कर रही है. इसके अलावा सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम भी बैंक में अपनी 30.24 फीसदी हिस्सेदारी को बेचेगी. अभी आईडीबीआई बैंक में सरकार के पास 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि एलआईसी के पास बैंक की 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है. सरकार इस विनिवेश से 4 बिलियन डॉलर जुटाने की उम्मीद कर रही है.
इतनी रह जाएगी हिस्सेदारी
दीपम सरकारी उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी का प्रबंधन करता है. विभाग ने पिछले साल अक्टूबर में सरकार की 30.48 फीसदी हिस्सेदारी और एलआईसी की 30.24 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए संबंधित पक्षों से ईओआई मंगाया था. अभी बैंक में सरकार और एलआईसी की मिलाकर 94.72 फीसदी हिस्सेदारी है, जो विनिवेश के बाद कम होकर 34 फीसदी रह जाएगी.
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