Ideas of India Summit 2023: एबीपी नेटवर्क के आइडिया ऑफ इंडिया समिट 2023 का आज दूसरा दिन है. आइडिया ऑफ इंडिया समिट के मंच पर बीते कल यानी 24 फरवरी को देश-विदेश की जानीमानी हस्तियां आ चुकी हैं और आज भी राजनीति से लेकर बिजनेस जगत, कला, साहित्य, फिल्में और सामाजिक कल्याण से जुड़े कई मेहमान शिरकत कर रहे हैं.
आज के पहले मेहमान हैं इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति
आइडिया ऑफ इंडिया समिट 2023 के दूसरे दिन आज के पहले मेहमान के देश की आईटी जगत की विख्यात कंपनी इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायणमूर्ति हैं. उन्होंने ना सिर्फ भारत की आईटी इंडस्ट्री को वैश्विक मानचित्र पर पहुंचाया, बल्कि आईटी इंडस्ट्री की ऐसी कंपनी 'इंफोसिस' की स्थापना की जो देश के आईटी हब के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचकर सर्वेसर्वा बनकर उभरी.
एन आर नारायणमूर्ति ने क्या कहा
इंफोसिस के फाउंडर एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि हम सब मिलकर भारत की वास्तविक सोच पर जो 'वसुधैव कुटुंबकम' और 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' की परिकल्पना के आधार पर चलती है, उसको साकार करने की कोशिश कर रहे हैं.
नए आंत्रप्रेन्योर्स पर नारायणमूर्ति का क्या है कहना
भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने में स्टार्टअप्स का क्या योगदान रहेगा या नए आंत्रप्रेन्योर का भारत की तरक्की में क्या योगदान रहेगा, इस सवाल पर एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि जब 1981 में हमने इंफोसिस की स्थापना की तो बहुत से इंजीनियर जिसमें आईआईटी के छात्र भी थे, इस आंत्रप्रेन्योरशिप का हिस्सा बने. आजकल के आंत्रप्रेन्योर्स के सामने ये चुनौती है कि वो ऐसे अनोखे आइडियाज पर काम करें जो दुनिया के किसी क्षेत्र में पहले ना लाए गए हों.
इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति ने कहा कि देश के लिए और हमारे उद्योगपतियों के लिए मेरी इच्छा है कि वे उन विचारों पर काम करना शुरू करें जिनके बारे में दुनिया में कहीं और नहीं सोचा गया है. उन्हें हमारी समस्याओं के बारे में सोचना चाहिए. इससे हम दुनिया में सबसे पहले शुरुआत करेंगे.
एन आर नारायणमूर्ति की आंत्रप्रेन्योर्स को ये है सलाह
एन आर नारायणमूर्ति ने कहा कि मेरी आंत्रप्रेन्योर्स को सलाह है कि वो देश के किसी भी कोने से ऑपरेट कर रहे हों, उन्हें सरकार की फंडिंग पर अपना निर्भरता कम करनी होगी, वर्ना उनका कारोबारी दायरा सीमित हो जाएगा और ऐसी स्थिति में वो हताश हो सकते हैं. जैसा कि हम जानते हैं कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हो जाती है तो ऐसे समय में उनका टैलेंट बेकार नहीं जाना चाहिए.
मूनलाइटिंग के सवाल पर क्या बोले
मेरा इस पर थोड़ा अलग मत है कि पिछले 300 सालों में पहली बार सॉफ्टवेयर क्षेत्र के में भारत को इतना ज्यादा सम्मान मिला है और इसके लिए लोगों ने कड़ी मेहनत की है. अगर आप किसी संस्थान का कल्चर डेवलप करना चाहते हैं तो आपके उसके बारे में अनुशासित रहना होगा. जहां तक मूनलाइटिंग का सवाल है तो ये एथिकल नहीं है और दो संस्थानों में एक साथ काम करने वाले वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए कितना प्रतिबद्ध होना संभव है, ये कहने की जरूरत नहीं है.
यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के लिए उनकी क्या सलाह है- जानें क्या कहा
नारायण मूर्ति ने कहा कि 2013 में ऋषि सुनक के माता-पिता के साथ उनकी चर्चा हुई थी और जहां तक सिद्धांतों की बात है, हमने कभी उनसे राजनीतिक विषयों पर बात नहीं की है. मेरी बेटी अक्षरा और पत्नी सुधा मूर्ति के साथ ऋषि सुनक के माता-पिता के डिस्कशन में कहीं भी पॉलिटिकल चर्चाओं की जगह नहीं है. मैं और मेरे दामाद ऋषि सुनक और उनके माता-पिता के साथ हम केवल पारिवारिक मुद्दों पर बात करते हैं. मैं उनको किसी तरह की सलाह देने में विश्वास नहीं रखता क्योंकि वो खुद भी विषय के जानकार हैं और उनके पास मुझसे बेहतर लोग हैं जो इस बारे में उन्हें राय दे सकते हैं.
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