दुनिया में नहीं होगी कच्चे तेल की कमी, IEA के सदस्य देशों ने लिया वो फैसला जिसका भारत पर भी पड़ेगा असर
कच्चे तेल के बढ़ते दामों से विश्व के कई देशों समेत भारत पर भी असर पड़ना तय है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के सदस्य देशों ने ऐसा फैसला लिया है जिससे विश्व में कच्चे तेल की कमी पर असर नहीं पड़ेगा.
Crude News: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के सभी 31 सदस्य देशों ने अपने रणनीतिक भंडारों से 6 करोड़ बैरल तेल जारी करने पर सहमति जताई है. उन्होंने तेल बाजार को यह संकेत देने के लिये कदम उठाया है कि रूस के यूक्रेन पर हमले से तेल आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी.
IEA ने मंगलवार को लिया फैसला
आईईए ने मंगलवार को इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिकी ऊर्जा मंत्री जेनिफर ग्रानहोल्म की अध्यक्षता में हुई ऊर्जा मंत्रियों की असाधारण बैठक में आईईए निदेशक मंडल ने यह निर्णय किया. संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान और कनाडा भी इसमें शामिल हैं. आईईए के सदस्यों के पास 1.5 अरब बैरल तेल का आपातकालीन भंडार है. जारी की जाने वाली मात्रा इस भंडार का चार फीसदी यानी 30 दिनों तक करीब 20 लाख बैरल प्रतिदिन है.
2014 के बाद सबसे उच्च स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल
आईईए के कार्यकारी निदेशक फतीह बिरोल ने कहा, "ऊर्जा बाजारों में स्थिति बहुत गंभीर है, वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा खतरे में है, यह स्थिति विश्व अर्थव्यवस्था को उस समय जोखिम में डाल रही है, जब वह सुधार के नाजुक दौर में है." यह निर्णय ऐसे समय लिया गया है जब मंगलवार को अमेरिकी मानक कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल को पार गया है. यह 2014 के बाद तेल के मूल्य का उच्च स्तर है.
रूस-यूक्रेन युद्ध का कच्चे तेल पर असर
दरअसल रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही कच्चे तेल के दाम लगातार चढ़ रहे हैं. हालांकि कच्चे तेल के दामों में उबाल जनवरी के अंत से ही देखा जा रहा था लेकिन जिस दिन रूस ने हमला किया उसके तुरंत बाद से कच्चा तेल 105 डॉलर प्रति बैरल के भाव के आसपास कारोबार कर रहा है. हालांकि देशों के स्ट्रेटेजिक रिजर्व से तेल जारी करने के बाद से इसकी कीमतों में कमी आई है और ये 100 डॉलर प्रति बैरल के भाव दिखा रहा है.
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