कोरोना काल में आरबीआई ने बड़ी राहत देते हुए बैंकों को लोन रिस्ट्रक्चर्ड करने के निर्देश दिए हैं. खासतौर से ये राहत उन कर्जदारों के लिए हैं जिन्हें कोरोना के इस दौर में आर्थिक तंगी से गुज़रना पड़ रहा है और लोन चुकाने में परेशानियों का सामना कर रहे हैं. वहीं अगर आप भी अपने लोन को रिस्ट्रक्चरिंग( Loan Restructuring) कराने का प्लान बना चुके हैं तो ज़रा ठहर जाइए और इससे जुड़ी कुछ खास बातें समझ लीजिए. क्योंकि अगर बिना सोचे समझे आपने ये फैसला ले लिया तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.


किसे मिलेगा फायदा?
प्रभाव जानने से पहले ये जानना ज़रुरी है कि इस सुविधा के दायरे में कौन-कौन आता है. जो निर्देश जारी हुए हैं उसके मुताबिक लोन रिस्ट्रक्चरिंग उसी ग्राहक की होगी जिसने पिछले कुछ समय से बैंक को किश्ते अदा नहीं की हो. लेकिन रेगुलर ईएमआई देने वाले ग्राहक इस सुविधा के लाभ से वंचित रहेंगे.


ये होंगे प्रभाव
चलिए अब आपको लोन रिस्ट्रेक्चरिंग से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताते हैं -
1. अगर आप लोन रिस्ट्रक्चरिंग करवाते हैं तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है. इसका अर्थ ये है कि जब आप भविष्य में कभी लोन के लिए अप्लाई करेंगे तो ये आपकी प्रोफाइल में नेगेटिव प्रभाव डालेगा.
2. यानि साफ है कि अगर आप आगे भी लोन लेने वाले हैं तो ज़ाहिर है लोन रिस्ट्रक्चरिंग आपके लिए सही ऑप्शन नहीं है.
3. अगर आप सोच रहे हैं कि रिस्ट्रक्चर्ड लोन आपको सस्ता पड़ेगा तो ऐसा नहीं है बल्कि इसके लिए आपको अलग से प्रोसेसिंग फीस चुकानी पड़ेगी.
4. इतना ही नहीं बल्कि आपको मौजूदा वर्तमान लोन के मुकाबले ज्यादा ब्याज दर भी देनी होगी.
5. चूंकि रिस्ट्रक्चर्ड लोन में आपको लोन अदा करने के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा लिहाज़ा आपको ब्याज ज्यादा चुकाना होगा.


क्या है आपके पास विकल्प?
ऐसे मे आप सोच रहे होंगे कि आपके पास विकल्प क्या है. तो लोन रिस्ट्रक्चरिंग से अच्छा ये होगा कि अगर आपके पास कोई FD या PF अकाउंट है तो आप वहां से पैसा निकालकर अपने लोन का भुगतान कर दें. इसके अलावा आप फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी लोन ले सकते हैं.