SAT ने आईआईएफएल को दी बड़ी राहत, सेबी का बैन रद्द किया-नए क्लाइंट लेने पर लगी रोक भी हटाई
IIFL Securities Ban: बाजार नियामक सेबी ने आईआईएफएल सिक्योरिटीज पर दो साल तक नए क्लाइंट बनाने पर रोक लगाई थी. इस फैसले को अब पलट दिया गया है.
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IIFL Securities Ban: ब्रोकरेज फर्म आईआईएफएल सिक्योरिटीज (IIFL Securities) के लिए गुरुवार का दिन राहत लेकर आया. सिक्योरिटीज अपीलैट ट्रिब्यूनल (SAT) ने कंपनी के खिलाफ आए सेबी के आदेश पर रोक लगा दी है. सेबी ने आईआईएफएल सिक्योरिटीज पर दो साल तक नए क्लाइंट्स हासिल पर रोक लगा दी गई थी. सैट ने कंपनी पर लगे जुर्माने को भी घटाकर अब 20 लाख रुपये कर दिया है जबकि सेबी ने कंपनी पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
जून से ही नए क्लाइंट नहीं बना पा रही थी कंपनी
सेबी ने आईआईएफएल पर जून में रोक लगाई थी जिसके बाद से ही कंपनी नए ग्राहक अपने साथ नहीं जोड़ पा रही थी. सैट की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि कंपनी कंपनी ने ग्राहकों के पैसे का गलत इस्तेमाल नहीं किया. लिहाजा आईआईएफएल सिक्योरिटीज पर लगा दो साल का प्रतिबंध खत्म किया जाता है. साथ ही यदि जुर्माने के तौर पर उससे 20 लाख रुपये से ज्यादा रकम वसूल ली गई है तो वो 4 महीने के अंदर वापस कर दी जाएगी.
फंड के दुरुपयोग का लगा था आरोप
जून में सेबी के सदस्य एसके मोहंती ने अपने आदेश में कहा था कि अप्रैल, 2011 से दिसंबर, 2013 तक की अवधि के लिए कंपनी की बुक्स की जांच की गई. इसमें पाया गया कि कंपनी अपने फंड को क्लाइंट्स के फंड से अलग करके नहीं रख रही है. साथ ही कंपनी अपने क्लाइंट्स के क्रेडिट बैलेंस का भी दुरुपयोग कर रही है. यह सेबी के नियमों का उल्लंघन है. हालांकि, सैट ने कहा कि यह तकनीकी दिक्कत थी. कंपनी के खिलाफ फंड के दुरुपयोग का आरोप साबित नहीं हुआ है.
इसी हफ्ते मुकेश अंबानी को भी मिली थी राहत
सोमवार को सैट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के एमडी मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani), नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड को भी राहत दी थी. सेबी ने जनवरी, 2021 में रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 25 करोड़ रुपये, मुकेश अंबानी पर 15 करोड़ और नवी मुंबई एसईजेड पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. इस मामले की सुनवाई करते हुए सैट ने सेबी का फैसला पलट दिया था. ये मामला नवंबर 2007 में फ्यूचर एंड ऑप्शन में रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड (आरपीएल) के शेयरों की बिक्री और खरीद से जुड़ा हुआ है. रिलायंस ने अपनी लिस्टेड सहायक कंपनी आरपीएल में 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया. बाद में आरपीएल को साल 2009 में आरआईएल में विलय कर दिया गया था.
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