IIP Data Update: देश की औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार धीमी हुई है. मार्च 2024 के लिए आईआईपी (Index of Industrial Production) का जो डेटा जारी हुआ है उसके मुताबिक मार्च 2024 में औद्योगिक उत्पादन ग्रोथ रेट 4.9 फीसदी रहा है जो कि फरवरी 2024 में 5.7 फीसदी के दर से बढ़ा था. बीते साल मार्च 2023 में आईआईपी ग्रोथ रेट 1.9 फीसदी रहा था.
सांख्यिकी मंत्रालय ने औद्योगिक उत्पादन के ग्रोथ रेट आंकड़ा जारी किया है. मार्च 2024 में तीन प्रमुख सेक्टर्स माइनिंग सेक्टर ने 1.2 फीसदी के दर से ग्रोथ दिखाया है जबकि फरवरी में इस सेक्टर ने 8 फीसदी का ग्रोथ रेट दिखाया था. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 5.2 फीसदी रहा है जो इसके पहले महीने में 5 फीसदी जबकि इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर का ग्रोथ रेट 8.6 फीसदी रहा है जो फरवरी में 7.5 फीसदी रहा था. माइनिंग सेक्टर को प्रोडक्शन में गिरावट के चलते मार्च महीने में आईआईपी ग्रोथ रेट में कमी आई है. पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में आईआईपी (IIP) ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी रहा है जो कि उसके वित्त वर्ष में 5.2 फीसदी रहा था. मंत्रालय ने बताया कि माइनिंग में पूरे वर्ष में 7.5 फीसदी, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 5.5 फीसदी और इलेक्ट्रिसिटी ने 7.1 फीसदी का ग्रोथ दिखाया है.
आईआईपी डेटा पर केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा ने कहा, 2023-24 के आखिरी महीने में आईआईपी ग्रोथ रेट अनुमान के मुताबिक 5.6 फीसदी से घटकर 4.9 फीसदी पर आ गई है. मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में ग्रोथ में तेजी आई है जबकि माइनिंग आउटपुट की रफ्तार धीमी हुई है. खपत के मोर्चे पर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का आउटपुट 9.5 फीसदी बढ़ा है जबकि नॉन-कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का आउटपुट दो महीने की गिरावट के बाद 4.9 फीसदी के दर से बढ़ा है. उन्होंने कहा, आने वाले दिनों में इसपर नजर रखने की जरूरत है.
पूरे वित्त वर्ष के लिए 5.9 फीसदी आईआईपी ग्रोथ रेट के डेटा पर रजनी सिन्हा ने कहा, 2023-24 में खपत की तस्वीर मिलीजुली रही है. शहरी इलाकों में डिमांड देखने को मिली पर ग्रामीण इलाकों में डिमांड फीकी रही है. हांलाकि बेहतर मानसून और महंगाई में कमी के चलते ग्रामीण इलाकों में डिमांड में तेजी आने की उम्मीद है. मिल्लवुड केन इंटरनेशनल (Millwood Kane International) का फाउंडर और सीईओ नीश भट्ट ने कहा, अच्छे मानसून के अनुमान, महंगाई में कमी, और शहरी इलाकों में डिमांड में तेजी के चलते हालात बेहतर नजर आ रहे हैं. हालांकि वैश्विक तनाव, ग्रामीण खपत, खाद्य वस्तुओं की महंगाई और कच्चे तेल की कीमतों पर पैनी नजर बनाकर रखने की दरकार है.
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