IIT Placement Crisis: जॉब मार्केट की स्थिति अभी ठीक नहीं चल रही है. बीते कुछ महीनों के दौरान कई बड़ी कंपनियों ने कर्मचारियों की छंटनी की है. टीसीएस, इंफोसिस जैसी दिग्गज कंपनियों में हायरिंग की रफ्तार सुस्त हो गई है. अब स्थिति इतनी खराब हो गई है कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी प्रभावित होने लग गए हैं.
चुनिंदा लोगों को मिलता है एडमिशन
आम लोगों की ऐसी मान्यता होती है कि आईआईटी से पढ़ाई का मतलब सिर्फ नौकरी की गारंटी नहीं, बल्कि मोटे पैकेज वाले शानदार नौकरी की गारंटी है. यह मान्यता अनायास नहीं है क्योंकि हर साल कई लाख विद्यार्थियों में से सिर्फ चंद हजार लोगों को ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में पढ़ने का मौका मिल पाता है. हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग आईआईटी की परीक्षा देते हैं, लेकिन देश के 23 आईआईटी में तकरीबन 10 हजार विद्यार्थियों को ही एडमिशन मिल पाता है.
आईआईटी के इतने विद्यार्थी बेरोजगार
सीएनबीसी टीवी18 की एक रिपोर्ट की मानें तो अब आईआईटी से पढ़कर निकले लोगों को भी नौकरी खोजने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में एक आरटीआई के हवाले से बताया गया है कि 2023-24 के प्लेसमेंट ड्राइव में अभी भी हजारों आईआईटियन को नौकरी नहीं मिल पाई है. ऐसे आईआईटियन की संख्या लगभग 8 हजार है.
इस कारण परेशानी वाले आंकड़े
यह आंकड़ा किस कदर चिंतजनक है, उसका अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि यह 2023-24 के दौरान प्लेसमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले टोटल आईआईटियन के 38 फीसदी के बराबर है. यह 2023 में प्लेसमेंट में नौकरी नहीं पाने वाले आईआईटियन की संख्या का लगभग दोगुना है. एक और आंकड़ा परेशानी को बढ़ाने वाला है.
इतने कम पैकेज को कर रहे एक्सेप्ट
नौकरी पाने में असफल लोगों की इतनी ज्यादा संख्या तब है, जबकि आईआईटी के विद्यार्थी 3.6 लाख रुपये से 6 लाख तक के काफी सस्ते पैकेज को एक्सेप्ट कर रहे हैं. यह पैकेज आईआईटी के लिहाज से काफी कम है. आईआईटी से पढ़ने वाले लोगों को करोड़ों के पैकेज मिलने की खबरें सुर्खियां बटोरा करती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल आईआईटियन को ऑफर की गई सीटीसी का औसत कम होकर 17 लाख सालाना पर आ गया है.
इस तरह से जुटाए गए आंकड़े
रिपोर्ट में ये आंकड़े आईआईटी कानपुर से पढ़ाई कर चुके और प्लेसमेंट मेंटर का काम करने वाले धीरज सिंह के हवाले से दिए गए हैं, जिन्होंने कई आरटीआई के जरिए इन आंकड़ों को जुटाया है. उन्होंने सभी 23 आईआईटी से सूचना के अधिकार के तहत जवाब मांगा था. आईआईटी से मिले जवाब, उनकी सालाना रपटें, मीडिया में छपी खबरों और विद्यार्थियों व प्लेसमेंट सेल के साथ हुई बातचीत के आधार पर उन्होंने आंकड़ों को तैयार किया है.
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