मुंबई: इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने सोमवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) को सूचित किया कि 91 हजार करोड़ रुपये के कर्ज एवं संकट का अकेले समूह स्तर पर समाधान होना मुश्किल है. उदय कोटक की अगुवाई वाले नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने समूह स्तरीय समाधान के तौर पर मजबूत निवेशकों से उल्लेखनीय पूंजी लगाने की संभावनाएं तलाशे जाने पर जोर दिया है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स इसके लिये संपत्ति के स्तर पर समाधान पर गौर कर रहा है.
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने एनसीएलटी को सौंपी अपनी दूसरी रिपोर्ट में कहा, "वित्तीय और लेन-देन सलाहकारों (एफटीए) के एक रिसर्च पर आधारित प्राथमिक आकलन से संकेत मिलते हैं कि अकेले समूह के स्तर पर समाधान के विकल्प का हल हो पाना कठिन है."
नये बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने यह भी कहा कि वह शीघ्र ही आईएलएंडएफएस एजुकेशन, आईएलएंडएफएस टेक्नोलॉजीज, ओएनजीसी त्रिपुरा पावर कंपनी और आईएलएंडएफएस पारादीप रिफाइनरी वाटर में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स पहले ही आईएलएंडएफएस सिक्योरिटीज सर्विसेज और आईएसएसएल सेटलमेंट एंड ट्रांजैक्शन सर्विसेज और कुछ नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों को बेच चुका है.
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बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने खर्च में कटौती के लिये लोगों की छंटनी, गेस्ट हाउस की समाप्ति, अलग-अलग जगहों पर कार्यालयों को बंद करना और मुंबई में स्थित मुख्यालय को दूसरी कंपनियों को किराये पर देने समेत कई कदम उठाये हैं. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का मानना है कि कटौती से सालाना करीब 100 करोड़ रुपये की बचत होगी.
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