दिवालिया हो चुके आईएलएंडएफएस समूह ने खुद को विलफुल डिफॉल्टर के टैग से बचाने के लिए एनसीएलएटी का दरवाजा खटखटाया है. एनबीएफसी समेत कई सेक्टरों में पहुंच रखने वाला आईएलएंडएफएस समूह कुछ साल पहले दिवालिया हो गया था. अब उसने एनसीएलएटी से खुद को विलफुल डिफॉल्टर का टैग मिलने से बचाने की अपील की है.


इनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग


खबरों के अनुसार, दिवालिया समूह ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय प्राधिकरण (एनसीएलएटी) से आरबीआई व कई अन्य बैंकों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है. एनसीएलएटी के पास आईएलएंडएफएस ने यह याचिका दिसंबर में दायर की थी. उसमें समूह ने अक्टूबर 2018 में दिवालिया होने के बाद कंट्रोल संभालने वाले बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. समूह की मांग आरबीआई और 11 सरकारी बैंकों के ऊपर भी कार्रवाई करने की है.


आईएलएंडएफएस समूह का आरोप


समूह का कहना है कि एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण) पहले ही उसके डाइरेक्टर्स को इम्यूनिटी प्रदान कर चुका है और बिना पूर्व मंजूरी के उनके खिलाफ कोई एक्शन लेने पर रोक लगा चुका है. वहीं एनसीएलएटी ने कर्ज के पुनर्भुगतान पर मोरेटोरियम लगाया हुआ है. उसके बाद भी बैंक आईएलएंडएफएस समूह को कारण बताओ नोटिस भेज रहे हैं.


इन बैंकों से मिला कारण बताओ नोटिस


आईएलएंडएफएस समूह में 8 कंपनियां हैं, जिनमें आईएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज और आईएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क भी शामिल है. समूह के ऊपर 94 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. समूह के अनुसार, उसे सरकारी बैंकों एसबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, आईडीबीआई बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से कारण बताओ नोटिस मिले हैं.


इस बात पर आपत्ति कर रहे हैं बैंक


आईएलएंडएफएस के अनुसार, बैंक कुछ पूर्व निदेशकों और एक्जीक्यूटिव्स के नए मैनेजमेंट का हिस्सा बने रहने पर आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं और समूह की कंपनियों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने की धमकी दे रहे हैं. नोटिस भेजने वाले और विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने की धमकी देने वाले बैंकों में कुछ तो मंजूर किए गए रिजॉल्यूशन फ्रेमवर्क का हिस्सा हैं और अंतरिम भुगतानों में हिस्सा पा चुके हैं.


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