IMF: इस समय पाकिस्तान भारी आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है. जनता महंगाई के बोझ तले दबी हुई है. सभी सरकारी कंपनियों की बिक्री की जा रही है. पाकिस्तान ने खुद को कंगाली से बचाने के लिए हरसंभव कोशिश कर ली है. अब वह इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) की शरण में है. आईएमएफ उसे आर्थिक संकट से उबरने में मदद देने को तैयार है. मगर, इस आर्थिक पैकेज के बदले उसे पाकिस्तान पर कड़ी शर्तें थोप दी हैं. आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को पेंशन पर टैक्स लगाना होगा. साथ ही उसे जीएसटी भी बढ़ाना होगा. अगर पाकिस्तान की सरकार यह मांगें मंजूर करती है तो उसकी जनता चक्की के दो पाटों में पिस जाएगी. 


1 लाख रुपये से अधिक पेंशन पाने वालों पर लगाना होगा टैक्स 


इकोनॉमिक टाइम्स ने पाकिस्तान की न्यूज एजेंसी ARY के हवाले से रिपोर्ट दी है कि आईएमएफ पाकिस्तान के मामले में नरमी बरतने के मूड में नहीं है. आईएमएफ ने पाकिस्तान से कहा है कि उन्हें 1 लाख रुपये से अधिक पेंशन पाने वालों पर टैक्स लगाना होगा. साथ ही देश में टैक्स भी बढ़ाने होंगे. यदि पाकिस्तान को आईएमएफ से बेलआउट पैकेज लेना है तो उन्हें यह सुधार लागू करने होंगे. इस पैकेज को लेकर दोनों पक्षों में बातचीत आखिरी दौर में पहुंच चुकी है. मंगलवार को आईएमएफ की टीम पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों से एक जरूरी मीटिंग करने वाली है. इसके बाद नए आर्थिक सुधारों को लागू करने पर फैसला लिया जा सकता है. 


बेलआउट पैकेज के लिए आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए तैयार


ARY न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तान की सरकार इन मांगों को मान सकती है. एक लाख रुपये से अधिक पेंशन पाने वालों की संख्या कम होती है. ऐसे में उन्हें लग रहा है कि इस बारे में कोई निर्णय लेने से उन्हें जनता का ज्यादा विरोध नहीं झेलना पड़ेगा. साथ ही सरकार को पाकिस्तान की संसद का भी समर्थन आसानी से मिल जाएगा. सरकार ने पहले भी कई बार संकेत दिए हैं कि वह इस बेलआउट पैकेज को हासिल करने के लिए आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिए तैयार है. 


सरकारी बीमा कंपनियों का निजीकरण करने की मांग


सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि आईएमएफ के बेलआउट पैकेज के लिए पाकिस्तान को राजकोषीय खर्च और घाटे पर भी अंकुश लगाना पड़ेगा. पिछले हफ्ते रिपोर्ट दी गई थी कि आईएमएफ ने पाकिस्तानी अधिकारियों से जीएसटी को 18 फीसदी करने की मांग की थी. पाकिस्तान में फिलहाल 17 फीसदी जीएसटी लगता है. इसके अलावा आईएमएफ ने इंश्योरेंस सेक्टर में सुधार और 3 सरकारी बीमा कंपनियों का निजीकरण करने की मांग भी की है. 


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