IMF की फर्स्ट डिप्टी मैनेंजिग डायरेक्टर का पद संभालेंगी गीता गोपीनाथ, 21 जनवरी से शुरू करेंगी काम
IMF chief economist: जियोफ्रे ओकामोटो ( Geoffrey Okamoto) अगले साल की शुरुआत में अपने पद से इस्तीफा दे देंगी. इसके बाद में गीता गोपीनाथ इस पद को संभालेंगी.
IMF chief economist Gita Gopinath: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पहली डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (FDMD) जियोफ्रे ओकामोटो ( Geoffrey Okamoto) ने अगले साल की शुरुआत में अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही है. ओकामोटो के इस्तीफा देने के बाद में इस पद को प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) संभालेंगी. गीतागोपीनाथ 21 जनवरी 2022 से इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगी. IMF की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई है.
3 साल तक चीफ इकोनॉमिस्ट पद से जुड़ी रहीं
FDMD ओकामोटो अगले साल अपने फंड से हट जाएंगी. इसके बाद सभी जिम्मेदारी गीता गोपीनाथ संभालेंगी. हालांकि अक्टूबर में आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टैलिना जियोर्जिवा ने बताया था कि गीता गोपीनाथ जनवरी 2022 में IMF छोड़ना चाहती हैं और वापस हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के इकोनामिक्स डिपार्टमेंट में काम करना चाहती हैं. बता दें IMF में तीन साल तक चीफ इकोनॉमिस्ट के पद से जुड़कर काम किया है.
दिए हैं कई खास योगदान
IMF ने गीता गोपीनाथ के द्वारा किए गए कई योगदान के बारे में चर्चा की है और कहा है कि उन्होंने कई महत्वपूर्ण पहल की है. इसके अलावा इन्होंने 'पैंडेमिक पेपर' में भी अपना जरूरी योगदान दिया है. इसमें उन्होंने बताया है कि कोरोना महामारी को कैसे खत्म किया जा सकता है और इसी के आधार पर दुनियाभर में वैक्सीनेशन का लक्ष्य तय किया गया है.
दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शामिल हैं गीता
आपको बता दें गीता गोपीनाथ दिग्गज अर्थशास्त्रियों में से एक हैं. उन्हें अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकनॉमिक्स संबंधी शोध के लिए भी जाना जाता है. इसके अलावा इनकी कई रिसर्च इकनॉमिक्स जर्नल्स में भी प्रकाशित हुई हैं. साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान दिया गया था. यह साल 2019 से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख अर्थशास्त्री के रूप में काम कर रही हैं.
भारत से है खास नाता
गीता गोपीनाथ का भारत से काफी करीबी नाता रहा है. उनका जन्म भारत में हुआ था और उन्होंने साल 1992 में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में ऑनर्स की पढ़ाई की थी. इसके बाद में उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में ही मास्टर की पढ़ाई की थी. इसके बाद में साल 1994 में वह वाशिंगटन यूनिवर्सिटी चली गईं और साल 1996 से 2001 तक उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी.
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