Indian Economy: इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने 2022-23 के लिए देश के आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटा दिया है. आईएमएफ ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी यानि सकल घरेलू उत्पाद के अनुमान को 8.2 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है. आईएमएफ ने कहा है कि वैश्विक कारणों के असर और कड़े मॉनिटरी पॉलिसी के चलते भारत के आर्थिक विकास दर कम रह सकता है. आईएमएफ ने कहा कि महंगाई पर काबू पाना देश के नीति बनाने वालों की पहली प्राथमिकता है जिसके चलते मॉनिटरी पॉलिसी में कड़े फैसले लिए जा रहे हैं.
आईएमएफ ने कहा कि 2021 में ग्लोबल रिकवरी देखने के बाद 2022 में दुनियाभर की वित्तीय स्थिति बेहद सख्त होती जा रही है. चीन के आर्थिक गतिविधि का धीमा पड़ना साथ में रूस यूक्रेन युद्ध के असर के चलते ये असर पड़ा है. यही वजह है कि भारत के आर्थिक विकास दर के अनुमान में 0.8 फीसदी की कमी कर उसे 8.2 फीसदी से घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया गया है. हालांकि आईएमएफ ने कहा है कि आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाने के बावजूद, भारत 2022-23 और 2023-24 में दुनिया में तेज गति से विकास करने वाला अर्थव्यवस्था रहेगा.
रूस - यूक्रेन युद्ध से बढ़ी मुश्किलें
कच्चे तेल ( Crude Oil) की बढ़ती कीमतों और घरेलू मांग में कमी ( Weak Domestic Demand) के चलते देश के आर्थिक विकास ( Economic Growth) की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. जिसके चलते कई रेटिंग एजेसियों ने अगले दो वर्षों तक के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाया है जो इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल समेत, कमोडिटी और खाने के तेल के दामों में उछाल का किस हद तक भारत पर दुष्प्रभाव पड़ा है. जून महीने में खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी बना हुआ है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है तो सरकार ने भी कई फैसले लिए हैं. जिससे माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में महंगाई से आम लोगों को कुछ राहत मिल सकती है. अगस्त महीने में फिर से आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक होने जा रही है. जिसमें महंगाई पर लगाम लगाने के लिए फिर से रेपो रेट में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है.
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