Indian Economy: अर्थशास्त्री और आईएमएफ (International Monetary Fund) की डिप्टी मैनेडिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की कई दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है. हालांकि उन्होंने कहा कि आगाह करते हुए कहा कि भारत को अपने लेबर मार्केट और जमीन को लेकर काफी कुछ करना बाकी है. 


डावेस ( Davos) में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ( World Economic Forum) की बैठक में गीता गोपीनाथ ने एक इंटरव्यू में वैश्विक स्तर पर बढ़ते विखंडन के प्रति आगाह करते हुए कहा कि इससे वैश्विक विकास दर ( Global Economic Growth) को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी (Covid-19 Pandemic ) और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद देशों में राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. इसके चलते ये देश ऐसे फैसले ले रहे हैं जिससे विखंडन बढ़ती चली जाएगी. 


गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत को लेकर दुनियाभर में पॉजिटिव सेंटीमेंट है लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ( Manufacturing Sector) में विदेश प्रत्यक्ष निवेश ( Foreign Direct Investment)  को बढ़ावा देने के लिए बहुत ज्यादा सुधार किए जाने की दरकार है. उन्होंने कहा कि कई बिजनेस और कंपनियां चीन समेत दूसरे देशों से निकलकर भारत को निवेश के डेस्टीनेशन के तौर पर देख रही हैं. 


गीता गोपीनाथ ने उम्मीद जताई कि मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में भारत का आर्थिक विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं अगले वित्त लर्ष 2023-24 में जीडीपी 6.1 फीसदी रह सकता है. हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने भी मौजूदा चालू वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.  केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने सालाना जीडीपी ग्रोथ का पहला अग्रिम अनुमान जारी किया है. बीते वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी  8.7 फीसदी रहा था. 


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