नई दिल्लीः कोरोना वायरस या कोविड-19 के आतंक की चपेट में आने के बाद दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन घोषित हो चुका है. कल भारत में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों यानी 14 अप्रैल तक संपूर्ण लॉकडाउन का एलान कर दिया है. दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था के हालात बड़ी तेजी से खराब हो रहे हैं और ऐसे में आईएमएफ यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने जो आशंका जताई है वो और परेशान करने वाली है.


2009 से बड़ी मंदी आ सकती है
IMF चीफ क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के कारण ग्लोबल इकोनॉमी एक विशाल संकट का सामना कर रही है और इससे वैश्विक मंदी आना तय है. ये नुकसान इतना बड़ा हो सकता है कि साल 2009 से भी बड़ी आर्थिक मंदी की आशंका है. आईएमएफ ने कहा है कि इससे निपटने के लिए देशों को अभूतपूर्व कदम उठाने की जरूरत है.


G-20 देशों के साथ बैठक के बाद दिया अनुमान
आईएमएफ चीफ क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने सोमवार को जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंकों के प्रमुखों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की थी. उन्होंने यह भी कहा कि इस साल वैश्विक विकास दर निगेटिव रहेगी यानी 2020 के लिए आउटलुक निगेटिव है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आना तय है.


उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए ज्यादा चुनौती
बता दें कि कोरोना वायरस की शुरुआत से ही भारत और कई उभरते बाजारों से वैश्विक निवेशकों ने करीब 83 अरब डॉलर का निवेश निकाल लिया है जिसके चलते इन देशों की इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ रहा है और इसी को ध्यान में रखते हुए आईएमएफ ने ये भी कहा है कि विकसित देशों के मुकाबले विकासशील और छोटे देशों पर इस कोविड-19 महामारी का ज्यादा बुरा असर पड़ेगा. इसके चलते विकसित और अमीर देशों को ऐसी इकोनॉमी वाले देशों की मदद करनी चाहिए.


साल 2021 में सुधार की संभावना
आईएमएफ कम आय वाले देशों को लेकर खासतौर पर चिंतित है और इनको लोन मुहैया कराने के लिए वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर काम कर रहा है. ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी आना तय है लेकिन साल 2021 में स्थिति में सुधार आ सकता है. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण पर जल्द से जल्द काबू पाया जाए.