नई दिल्ली: इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने भारत की विकास दर को लेकर आज जो अनुमान दिया है उसे जानकर आपको खुशी होगी. अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 में देश की विकास दर 7.2 फीसदी और 2018-19 में 7.7 फीसदी तक पहुंच सकती है. IMF के मुताबिक भारत में नोटबंदी के चलते हुई ‘उथल पुथल’ के बाद अर्थव्यवस्था में फिर तेजी लौटेगी. इसके बाद हालांकि आईएमएफ ने भारतीय बाजार को और अधिक स्किल्ड बनाने के लिए पुरानी ‘बुनियादी अड़चनों’ को दूर किए जाने की सिफारिश की है.
आईएमफ ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा?
आईएमएफ ने 'क्षेत्रीय आर्थिक परिदृश्य' के बारे में आज अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में नोट बदलने की पहल के कारण खासतौर पर निजी खपत के लिए कैश की जो कमी पैदा हुई थी, उसके धीरे धीरे खत्म होने की उम्मीद है.
रिपोर्ट को जारी करने के बाद सिंगापुर में एशिया-प्रशांत विभाग के डायरेक्टर चैंगयांग री ने कहा, ‘‘भारत उन कुछ देशों में से है जिसने बेहतर सुधार किए हैं और यही एक वजह है कि उसकी आर्थिक विकास दर (विश्व में) सबसे उंची रही है.’’ जीएसटी के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी को शुरू करने की तैयारी के लिए हम भारत के साथ बहुत करीब से काम कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि भारत ने पिछले कुछ सालों में जीएसटी के लिए अच्छी तैयारी की है.’’ री ने कहा कि इस तरह की टैक्स प्रणाली को लागू करना बहुत चुनौतीपूर्ण है. खासकर सरकार और इंडस्ट्री के बीच एकीकरण की तैयारी करना. इसे लागू करना इतना आसान नहीं होगा और कुछ हल्की-फुल्की बाधाएं होंगी. सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली भी परिपूर्ण और अच्छे से लागू होनी चाहिए.
साल 2017-2019 के दौरान अच्छी रहेगी ग्रोथ
मुद्राकोष ने भारत के बारे में यह भी कहा है कि अनुकूल मानसून से इस प्रकार की बाधाओं से निकलने और सप्लाई संबंधी दिक्कतों से उबरने का कोशिश की जा रही है. ऐसे माहौल में स्टैबलिश्ड इंडस्ट्रियल कैपिसिटी के इस्तेमाल में सुधार होने की संभावना है. आईएमएफ ने कहा, ‘‘भारत की विकास दर वित्त वर्ष 2017-18 में 7.2 फीसदी और उसके बाद वित्त वर्ष 2018-19 में 7.7 फीसदी रहेगी.’’
मुद्रा कोष ने कहा, ‘‘भारत के बैंकों और कार्पोरेट जगत की बैलेंस शीट की कमजोरी एक चैलेंज है जो आने वाले समय में लोन में बढ़त के लिए अहम होगा. भारत की आर्थिक वृद्धि के बारे में पॉजिटिव रूख रखते हुए मुद्रा कोष ने उम्मीद जताई की वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को देश में आसानी से लागू कर लिया जाएगा.
पूरे एशिया के लिए क्या है आईएमएफ का अनुमान?
आईएमएफ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में एशिया की आर्थिक विकास दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान है जो 2016 में 5.3 फीसदी थी. अक्तूबर 2016 के ग्लोबल इकोनॉमिक परिस्थिति की तुलना में 2017 में चीन और जापान में भी वृद्धि होगी. नोटबंदी के अस्थायी प्रभावों से भारत की विकास दर में गिरावट आएगी. साथ ही दक्षिण कोरिया में राजनीतिक अनिश्चिता के चलते ऐसा होगा. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कृषि उत्पादकता को बेहतर करना एक चुनौती बनी रहेगी. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे ज्यादा श्रम लगता है और यह भारत की लगभग आधी आबादी का रोजगार भी है.
इसमें कहा गया है कि बाजार की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत में लंबे समय से एक जैसे इंफ्रास्ट्रक्चरल दिक्कतों का समाधान करने की जरूरत है. इसमें कमोडिटी बाजार को ज्यादा ओपन बनाना भी शामिल है ताकि किसानों को डिस्ट्रीब्यूशन और मार्केटिंग के स्तर पर अपनी उपज के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध हों. इससे भारत के राज्यों के कृषि बाजारों में ट्रांसपेरेंसी लाने में भी मदद मिलेगी.