India GDP Data: 2024-25 में 7 फीसदी रह सकती है भारत की आर्थिक विकास दर, आईएमएफ ने जारी किया अनुमान
GDP Data: आईएमएफ ने 2024-25 में 7 फीसदी और 2025-26 में 6.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान जताया है.
India GDP Data: वित्त वर्ष 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 फीसदी के दर से विकास कर सकती है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक ग्रोथ अनुमान जारी किया है. आईएमएफ के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान है. जुलाई महीने में भी अपने अनुमान में आईएमएफ ने 7 फीसदी आर्थिक विकास दर रहने का भरोसा जताया था. हालांकि अप्रैल 2024 में जारी किए प्रोजेक्शन से ये 0.2 फीसदी ज्यादा है.
आईएमएफ ने अपने ग्रोथ आउटलुक में कहा, भारत में जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2023-24 के 8.2 फीसदी के मुकाबले 2024-25 में 7 फीसदी रहेगा जबकि 2025-26 में 6.5 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रहने का अनुमान जताया गया है. आईएमएफ के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान जो पेंटअप डिमांड देखने को मिला था वो अब खत्म हो रही है और अर्थव्यवस्था अपने क्षमता के मुताबिक अब ग्रोथ दिखा रही है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड के मुताबिक ग्लोबल इकोनॉमी 2024 में 3.2 फीसदी के दर से ग्रोथ दिखाएगी.
IMF Growth Forecast: 2024
— IMF (@IMFNews) October 22, 2024
🇺🇸US: 2.8%
🇩🇪Germany: 0.0%
🇫🇷France: 1.1%
🇮🇹Italy: 0.7%
🇪🇸Spain: 2.9%
🇬🇧UK: 1.1%
🇯🇵Japan: 0.3%
🇨🇦Canada: 1.3%
🇨🇳China: 4.8%
🇮🇳India: 7.0%
🇷🇺Russia: 3.6%
🇧🇷Brazil: 3.0%
🇲🇽 Mexico: 1.5%
🇸🇦KSA: 1.5%
🇳🇬Nigeria: 2.9%
🇿🇦RSA: 1.1%https://t.co/sDv9tK6YQb pic.twitter.com/epCi3VT13o
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी मौजूदा वित्त वर्ष में 7.2 फीसदी आर्थिक विकास दर रहने का अनुमान जताया है. विश्व बैंक ने 7 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है. महंगाई के मोर्चे पर इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने अपने अनुमान में कहा है कि वैश्विक स्तर पर महंगाई में कमी आएगी. 2023 में 6.7 फीसदी के मुकाबले 2024 में 5.8 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान जताया गया है. भारत के लिए अपने अनुमान में आईएमएफ ने कहा, भारत में महंगाई दर वित्त वर्ष 2024-25 में 4.4 फीसदी रह सकता है और वित्त वर्ष 2025-26 में 4.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. आईएमएफ ने अपने आउटलुक में कहा, गुड्स प्राइसेज अब स्थिर हो रही है लेकिन कई रीजन में सर्विस प्राइस इंफ्लेशन अभी भी तेजी बनी हुई है.
आईएमएफ के मुताबिक, वैश्विक तनाव के चलते कमोडिटी प्राइसेज में जो उछाल आया है उसके चलते सेंट्रल बैंकों की ओर से ब्याज दरों में कटौती में देरी हो सकती है जिससे फिस्कल पॉलिसी से लेकर फाइनेंशियल स्टैबिलिटी को झटका लग सकता है.
ये भी पढ़ें