Pakistan-IMF Deal: आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए शुक्रवार 30 जून की तारीख बेहद महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान को बेसब्री से इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड से मिलने वाले बेलआउट पैकेज की अगली किस्त का इंतजार है जिसे जारी करने की मियाद आज 30 जून को खत्म हो रही है. अगर आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1.1 बिलियन डॉलर का बेलआउट कर्ज नहीं दिया तो पाकिस्तान कंगाल हो सकता है. वहां सबसे बड़ा वित्तीय संकट खड़ा हो सकता है. 


जुलाई 2019 में आईएमएफ ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज के तहत कर्ज देने पर मुहर लगाई थी जिसकी शर्तें भी थी. ये कर्ज चार तिमाही और चार सेमी-एनुअल रिव्यू के बाद जारी किया जाना था. आईएमएफ की शर्त थी कि पाकिस्तान आर्थिक सुधारों को गति देने का काम करेगा. 39 महीनों में 6 बिलियन डॉलर का कर्ज आईएमएफ को देना था जिसकी डेडलाइन पहले 2 अक्टूबर 2022 थी जिसे बढ़ाकर 30 जून 2023 कर दिया गया. 


आईएमएफ ने बेलआउट पैकेज के लिए कई शर्तें रखी थी जिसमें आय बढ़ाने, टैक्सबेस बढ़ाने, फ्री-मार्केट के साथ ऐसी पॉलिसी तैयार करना जिससे आर्थिक संकट को दूर किया जा सके. इन शर्तों में आईएमएफ ने पाकिस्तान को अपना रक्षा बजट भी कम करने की भी हिदायत दी थी.


अगस्त 2022 तक पाकिस्तान को आईएमएफ लोन की किस्तें जारी कर रहा था क्योंकि वो शर्तों को लागू कर रहा था. लेकिन कोविड के असर, यूक्रेन युद्ध, कमरतोड़ महंगाई और इमरान खान के सत्ता से बेदखल होने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर संकट गहरा गया. आईएमएफ ने पाकिस्तान पर कर्ज देने के लिए जो शर्तें रखी थी उसे ताक पर रख दिया गया. 


हालांकि बेलआउट पैकेज मिलने की उम्मीद पाले पाकिस्तान हाल में बड़े फैसले लिए हैं. फिर से बजट पेश किया गया है जिसमें पाकिस्तान की सरकार ने टैक्स की दरें बढ़ा दी है. बहरहाल जरुरी चीजों के इंपोर्ट को जारी रखने के लिए पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से 1.1 बिलियन डॉलर का कर्ज बेहद मायने रखता है. अगर ये रकम नहीं मिला तो वहां आर्थिक संकट और गहरा सकता है.   


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