Indian Economy: आईएमएफ ने घटाया विकास दर का अनुमान, 2023-24 में 6.1 फीसदी रह सकता है GDP
आईएमएफ ने कहा है कि कच्चे तेल के दामों में उछाल, कमजोर बाहरी मांग और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते आर्थिक विकास दर में गिरावट आ सकती है.
India Economic Growth: भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि 2023-24 में आर्थिक विकास दर घटकर 6.1 फीसदी रहने का अनुमान है. जो 2022-23 में 6.8 फीसदी रह सकता है. आईएमएफ ने कहा है कि कच्चे तेल के दामों में उछाल, कमजोर बाहरी मांग और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते आर्थिक विकास दर में गिरावट आ सकती है.
आईएमएफ ने कहा है कि अगले दो वर्षों में भारत में महंगाई में कमी आ सकती है. हालांकि उसने ये चेतावनी भी दी है कि कोरोना वायरस के खतरनाक वैरिएंट से ट्रेड और आर्थिक विकास पर असर पड़ सकता है. आईएमएफ के मुताबिक यूक्रेन में युद्ध और रूस पर लगाये गए प्रतिबंधों के चलते भारत पर कई प्रकार से प्रभाव डाल रहा है जिसमें कमोडिटी के दामों में बढ़ोतरी, कमजोर बाहरी मांग और भरोसे में कमी शामिल है. आईएमएफ ने मध्यम अवधि में 6 फीसदी विकास दर का अनुमान जताया है. रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय अधिकारियों का मानना है कि सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर खर्च में बढ़ोतरी और निजी डिमांड के चलते 7 फीसदी जीडीपी 2022-23 में रह सकता है.
आईएमएफ ने कच्चे तेल और कमोडिटी के दामों में बढ़ोतरी के झटकों के जोखिम से आगाह भी किया है हालांकि महंगाई से निपटने की कोशिशों की तारीफ भी की है. इस साल महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई पांच बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. रेपो रेट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया है. अगस्त 2018 के बाद रेपो रेट का ये सबसे उच्चतम स्तर है.
आईएमएफ ने 2022-23 में 6.9 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान जताया है. और उसका मानना है कि खाद्य वस्तुओं के दामों में कमी और सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते अगले साल तक महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड 4 से 6 फीसदी के बीच रह सकती है. नवंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.88 फीसदी पर आ गया है.
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