अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में अपने पहले के अनुमान से ज्यादा गिरावट का अनुमान लगाया है. अप्रैल में आईएमएफ ने भारत की विकास दर 1.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था लेकिन जून के अनुमान में उसने कहा है कि यह गिर कर -4.9 फीसदी पर पहुंच सकती है.


धीमी रिकवरी होने से ग्रोथ अनुमान में और गिरावट


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अप्रैल में कहा था कि ग्लोबल जीडीपी में 3 फीसदी की गिरावट आ सकती है और भारत की अर्थव्यवस्था में 1.9 फीसदी की बढ़त दर्ज हो सकती है. आईएमएफ ने कहा है कि 2020 की पहली छमाही ने कोरोनावायरस संक्रमण ने अर्थव्यवस्था को अनुमान से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. रिकवरी पहले अनुमान लगाई गति की तुलना में धीमी रही है. अर्थव्यवस्था में अभी भी गिरावट का जोखिम बना हुआ है. लॉकडाउन और धीमी रिकवरी की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार में तेजी आने में काफी वक्त लगेगा.


आईएमएफ के अनुमान में इकनॉमी को दोबारा पटरी पर लौटने का जो अनुमान लगाया गया था, उसमें भी कमी दर्ज की गई है. आईएमएफ ने अप्रैल में वित्त वर्ष 2021-22 में 7.4 फीसदी ग्रोथ का अनुमान लगाया था. लेकिन फिलहाल आर्थिक गतिविधियों के रफ्तार न पकड़ने से ग्रोथ छह फीसदी रहने का अनुमान है. जून में आईएमएफ ने 2021 में ग्लोबल ग्रोथ के 5.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. जबकि अप्रैल में इसने इसके 5.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.


इंडिया रेटिंग का अनुमान, इकनॉमी में 5.3 फीसदी की गिरावट


इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च ने कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान भारत अब तक का सबसे खराब ग्रोथ से गुजरेगा. यह छठी बार होगा, जब भारत जीडीपी में गिरावट का सामना करेगा. कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक गतिविधियों को इतना ज्यादा झटका लगा है कि वित्त वर्ष की हर तिमाही में जीडीपी में गिरावट दर्ज की जाएगी.