भारत सरकार का कहना है कि देश के कुल कर्ज पर आईएमएफ ने हाल ही में जो बात कही है, वो गलत है. आईएमएफ ने हाल ही में चेताया था कि वित्त वर्ष 2027-28 तक देश का कुल कर्ज जीडीपी के 100 फीसदी से ज्यादा हो सकता है. वित्त मंत्रालय ने आईएमएफ की बात को गलत बताते हुए शुक्रवार को कहा कि कई अन्य देश ऐसे हैं, जो कर्ज के मोर्चे पर भारत से खराब प्रदर्शन कर रहे हैं.
आईएमएफ ने इस बात पर किया था सचेत
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने भारत को कर्ज के बारे में हाल ही में आगाह किया था. आईएमएफ का कहना था कि मीडियम टर्म में भारत का सरकारी कर्ज बढ़कर ऐसे स्तर पर पहुंच सकता है, जो देश की जीडीपी से ज्यादा हो सकता है. मतलब कुल सरकारी कर्ज देश की जीडीपी के 100 फीसदी से ज्यादा हो सकता है. इसके लिए आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2027-28 का टाइमलाइन तय किया था.
इन देशों का कर्ज कहीं ज्यादा
वित्त मंत्रालय ने आईएमएफ की इसी बात को गलत बताया है. मंत्रालय ने बयान में अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों का उदाहरण दिया है. बयान के अनुसार, अमेरिका का कुल कर्ज जीडीपी के करीब 160 फीसदी पर है. वहीं ब्रिटेन का कर्ज जीडीपी के 140 फीसदी और चीन का कुल कर्ज जीडीपी के 200 फीसदी पर है. यह भारत के 100 फीसदी की तुलना में कहीं ज्यादा खराब है.
रिपोर्ट में ही कही गई ये बात
वित्त मंत्रालय ने आईएमएफ की उसी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि परिस्थितियां अनुकूल होने पर तस्वीर पूरी तरह से अलग भी हो सकती हैं. आईएमएफ ने उसी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अगर परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो भारत का कुल कर्ज कम भी हो सकता है और यह गिरकर जीडीपी के 70 फीसदी से भी नीचे आ सकता है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस तरह ऐसा कहना कि मध्यम अवधि में भारत का कुल कर्ज जीडीपी के 100 फीसदी से ज्यादा हो जाएगा, गलत है.
वित्त मंत्रालय को इस बात का यकीन
मंत्रालय ने कहा कि जनरल गवर्नमेंट डेट (राज्य सरकारों और केंद्र सरकार का सम्मिलित) वित्त वर्ष 2020-21 में करीब 88 फीसदी था, जो कम होकर 2022-23 में करीब 81 फीसदी पर आ गया. केंद्र सरकार अपने फिस्कल कंसोलिडेशन टारगेट को हासिल करने की राह पर है. सरकार का लक्ष्य फिस्कल डेफिसिट को 2025-26 तक घटाकर जीडीपी के 4.5 फीसदी से नीचे लाना है.
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