पूरी दुनिया करीब एक साल से गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है. दो दशकों के बाद लोगों को फिर से आर्थिक मंदी (Economic Recession) का डर सता रहा है. आर्थिक मंदियों से न सिर्फ देशों की अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ जाती हैं, बल्कि ये आम जनजीवन पर भी व्यापक असर छोड़ जाती हैं. इसके चलते लोगों की कमाई कम हो जाती है, जबकि रोजमर्रा के खर्चे बेतहाशा बढ़ जाते हैं. अभी तमाम अर्थशास्त्रियों और कारोबारियों का मंदी का डर अनायास नहीं है. एक के बाद एक कई बैंक डूब चुके हैं और पिछले एक साल से ज्यादा समय से छंटनी का भयावह दौर चल रहा है. नई कंपनियों यानी स्टार्टअप की दुनिया की क्या ही बात करें, दुनिया भर की दिग्गज कंपनियां इस बार छंटनी (Global Layoffs) करने पर मजबूर हो गई हैं. आइए जानते हैं कि आपकी नौकरी छंटनी के इस दौर में कितनी सुरक्षित है और किसी अनहोनी की स्थिति से बचने के लिए आपको क्या तैयारियां करने की जरूरत है...
बीते दिनों में यहां हुई छंटनी
आगे बढ़ने से पहले आपको छंटनी के इस दौर की गंभीरता की जानकारी दे देते हैं. छंटनी की खबरें साल भर से ज्यादा समय से अखबारों के पन्ने भर रही हैं और टेलीविजन पर जगहें घेर रही हैं. ताजा मामलों को देखें तो दिग्गज आईटी कंपनियों में शुमार एसेंचर 19 हजार लोगों को काम से निकालने वाली है. वहीं नौकरी खोजने में मदद करने वाली ऑनलाइन कंपनी इनडीड के हजारों कर्मचारियों के सामने भी नई नौकरी खोजने की चुनौती आ गई है.
इस साल गईं इतनी नौकरियां
दरअसल छंटनी का यह दौर पिछले साल से ही चल रहा है और 2023 में भी इसकी रफ्तार कम नहीं हुई है. हमने इसके लिए लेऑफ्स डॉट एफवाईआई की मदद ली. यह पोर्टल दुनिया भर में होने वाली छंटनियों के आंकड़े को कंपाइल करता है. इसके अनुसार, इस साल के पहले दो महीने के दौरान ही दुनिया भर में सिर्फ टेक कंपनियों ने 1.21 लाख से ज्यादा लोगों को काम से निकाला है. जनवरी महीने में जहां 84,714 लोग काम से निकाले गए, तो फरवरी में टेक कंपनियों ने 36,491 कर्मचारियों की छंटनी की. मार्च महीने में एसेंचर और इनडीड के अलावा रूफस्टॉक, ट्विच, अमेजन, लिवस्पेस, कोर्स हीरो, क्लावियो, माइक्रोसॉफ्ट, फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा, वाई कम्बिनेटर, सेल्सफोर्स, एटलासियन, सिरीयस एक्सएम, अलेर्जो, सेरेब्रल, वायमो, थॉटवर्क्स जैसी कंपनियां छंटनी कर चुकी हैं.
इन कंपनियों के सारे कर्मचारी बेरोजगार
बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट तो और चिंताजनक तस्वीर दिखाती है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अब तक 16 स्टार्टअप्स अपने 100 फीसदी कर्मचारियों को निकाल चुके हैं. इसका मतलब हुआ कि उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इनमें से तीन स्टार्टअप कंपनियां भारत की हैं. बेंगलुरू बेस्ड वीट्रेड और डीयूएक्स एजुकेशन तथा चेन्नई की फिपोला ने अपने सभी कर्मचारियों को बाहर किया है. अनएकैडमी, वेदांतु, कार्स24 जैसी भारतीय स्टार्टअप कंपनियां अलग-अलग राउंड में हजारों लोगों को बाहर का रास्ता दिखा चुकी हैं. एडुटेक सेक्टर की बायजुज ने भी बड़े पैमाने पर छंटनी की है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस बार छंटनी की रफ्तार किस कदर भयावह है और कभी भी इसकी लहर आपकी नौकरी खा सकती है...
छंटनी न हो...करें इसका उपाय
अब हम जानते हैं कि छंटनी का शिकार होने की स्थिति को लेकर क्या तैयारियां करनी चाहिए... ये तैयारियां तो खैर जरूरी हैं ही, लेकिन क्यों न ऐसा कुछ किया जाए कि आपकी कंपनी आपको काम से बाहर ही न निकाले! सबसे पहली बात... अगर आप भी प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं तो इसे झेलने के लिए हमेशा तैयार रहें. वैसे तो कोई भी कंपनी बहुत मुश्किल पड़ने पर भी अपने कर्मचारियों को निकालना पसंद नहीं करती है, लेकिन इस बार हालात अलग हैं. हालांकि मुश्किलों में भी वैसे ही कर्मचारी निकाले जाते हैं, जिनका काम ठीक नहीं होता है. तो मंदी के दौर में छंटनी से बचने के लिए ईमानदारी से काम पर ध्यान देने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. आप अपने ऑफिस के काम को पूरी जिम्मेदारी से करें, ताकि कंपनी को आपका बने रहना जरूरी लगे.
हमेशा तैयार रखें इमरजेंसी फंड
अब जानते हैं कि अगर छंटनी ने आपको अपना शिकार बना लिया, तो वैसी स्थिति के लिए क्या करना चाहिए. हमने इसके लिए पर्सनल फाइनेंस के कुछ विशेषज्ञों से बातचीत की. फाइनेंशियल एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी बताते हैं कि नौकरी जाने की स्थिति में सबसे पहले जरूरी खर्चों को पूरा करने की चुनौती आती है. इसके लिए हर किसी को एक इमरजेंसी फंड जरूर तैयार करना चाहिए. प्रयास ये होना चाहिए कि कम से कम छह महीने के खर्च लायक इमरजेंसी फंड आपके पास हो. मान लीजिए कि आपके जरूरी खर्चे मसलन किराया या ईएमआई, खाने-पीने के सामान आदि को मिलाकर हर महीने 30 हजार रुपये की जरूरत है, तो आपको कम से कम 1.80 लाख रुपये का इमरजेंसी फंड तैयार रखने की जरूरत है. महामारी के बाद बढ़ी अनिश्चितता को देखते हुए सोलंकी कहते हैं कि लोगों को अब छह महीने के बजाय साल भर का इमरजेंसी फंड बनाने पर ध्यान देना चाहिए.
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के मैनेजिंग डाइरेक्टर पंकज मठपाल भी इमरजेंसी फंड को बेहद जरूरी बताते हैं. वह कहते हैं कि छंटनी जैसी किसी भी स्थिति को लेकर लोगों के पास एक इमरजेंसी फंड होना चाहिए. हर किसी को 9 से 12 महीने के लिए यह फंड तैयार करना चाहिए. यानी कि आपको अगले 9 से 12 महीने तक जरूरी खर्चों के लिए कितनी रकम की जरूरत होगी, पहले से इसकी तैयारी रखनी चाहिए.
ऐसे बनेगा इमरजेंसी फंड
यहां एक अहम सवाल आता है कि इमरजेंसी फंड बनाएं कैसे? मठपाल कहते हैं कि सामान्य दिनों में लोग ठीक-ठाक पैसे ऐसी चीजों पर खर्च कर देते हैं, जिनसे बचे बिना भी जीवन अच्छे से चल सकता है. खासकर इम्पल्सिव बाइंग यानी बाजार निकलने पर बिना जरूरत के भी खरीदारी कर लेना जैसी आदतों से हमेशा बचना चाहिए. लोग सामान्य दिनों में कई सब्सक्रिप्शंस ले लेते हैं. स्थिति बिगड़ने पर इन्हें बंद कराया जा सकता है, ताकि नियमित खर्च कम हों. वैसे भी अगर कोई व्यक्ति हर महीने की तय कमाई का एक हिस्सा इमरजेंसी फंड के लिए अलग रख दे तो खर्च कम करने में मदद मिल जाएगी. पहले आप यह देख लें कि आपको कितना बड़ा फंड और कितने समय में बनाना है. उसी के हिसाब से हर महीने का हिस्सा तय कर लें.
सावधान होकर लें जॉब इंश्योरेंस
हाल के समय में बीमा बाजार में एक नए तरह का प्रोडक्ट चलन में आया है, जिसका नाम है जॉब इंश्योरेंस. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के एमडी इस बारे में बताते हैं कि जॉब इंश्योरेंस अमेरिका जैसे देशों में काफी लोकप्रिय है. भारत में भी कुछ कंपनियां जॉब इंश्योरेंस जैसे प्रोडक्ट ऑफर कर रही हैं, लेकिन अभी यहां ऐसे प्रोडक्ट लोकप्रिय नहीं हुए हैं. मठपाल साथ ही यह हिदायत भी देते हैं कि जॉब इंश्योरेंस जैसा प्रोडक्ट खरीदने से पहले उनके नियम व शर्तों को अच्छे से समझ लेना जरूरी है, क्योंकि इनके साथ कई ऐसे टर्म्स होते हैं, जिन्हें पूरा कर पाना मुश्किल होता है. ऐसे में आपके पास भले ही जॉब इंश्योरेंस हो, लेकिन जरूरत पड़ने पर यह आपके काम नहीं आएगा.
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