फ्यूचर रिटेल को नहीं मिली दिल्ली हाई कोर्ट से राहत, याचिका हुई खारिज, जानें क्या है मामला
याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस- फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है.
मुंबई: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एमेजॉन को सिंगापुर की अदालत के फैसले के बारे में सेबी, सीसीआई को लिखने से मना करने की अपील की गई थी. जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने FRL की दलील को खारिज कर दिया. याचिका में दावा किया गया था कि एमेजॉन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस- फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है.
फ्यूचर ग्रुप ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया जब सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर (SIAC) के एक इमरजेंसी आर्बिट्रेटर ने फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस रिटेल के साथ लेन-देन को आगे बढ़ाने में कोई कदम उठाने से रोक दिया.
अमेजन इंक ने बाजार नियामक सेबी, कंप्टीशन कमिशन ऑफ इंडिया (CCI) को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि इमरजेंसी आर्बिट्रेटर का आदेश 'बाध्यकारी' है, जो कि बिलियन डॉलर डील को रोकने का कदम है.
अमेजन की तरफ से दलील दी गई कि फ्यूचर रिटेल और रिलायंस द्वारा प्रस्तुत किए गए अधिकांश तर्कों को पहले ही सिंगापुर में आपातकालीन मध्यस्थ द्वारा निपटा दिया गया था. अमेजन ने किसी भी एफडीआई नियमों का उल्लंघन नहीं किया क्योंकि फ्यूचर कूपन प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) एक भारतीय इकाई है, और एफसीपीएल से फ्यूचर रिटेल में आने वाले धन को एफडीआई नहीं माना जाएगा.
अमेजन ने यह भी कहा कि उसकी एफसीएल में 49% हिस्सेदारी है, जिसमें FRL में 9.82% शेयर हैं. FRL में अमेजन की हिस्सेदारी आधी प्रभावी हो जाती है और मल्टी-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में भारत की एफडीआई नीति द्वारा लगाए गए 10% की सीमा को पार नहीं करेगी.
निर्णय में कहा गया, "आगे इस कारण से एफआरएल के लिए अपूरणीय क्षति नहीं हो सकती है, भले ही अमेज़ॅन गलत तथ्यों के आधार पर प्रतिनिधित्व करता है, जिससे गैरकानूनी साधनों का उपयोग किया जाता है, यह वैधानिक अधिकारियों / नियामकों के लिए होगा कि वे तथ्यों और कानूनी मुद्दों पर अपना दिमाग लगाएं और सही निषकर्ष पर पहुंचे."
फ्यूचर रिटेल के अनुसार, इमरजेंसी अवार्ड का कोई परिणाम नहीं था क्योंकि यह भारत में लागू नहीं था. फ्यूचर रिटेल ने अपील की कि अमेजन को समझौते को रोकने के लिए वैधानिक अधिकारियों को लिखने से रोका जाए. कोर्ट में फ्यूचर ग्रुप का समर्थन कर रहे रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि अमेज़न सौदे को रोककर गलत कर रहा था.
यह बताते हुए कि कोई अंतरिम निषेधाज्ञा क्यों नहीं दी जा सकती, अदालत ने कहा कि एफआरएल और अमेजन दोनों ही वैधानिक प्राधिकारियों / नियामकों को पहले ही अपना अभ्यावेदन और काउंटर अभ्यावेदन दे चुके हैं, और अब यह वैधानिक प्राधिकारियों/ नियामकों पर है कि वह निर्णय ले. आदेश में कहा गया है, "इसलिए, यह कोर्ट पाता है कि अंतरिम निषेधाज्ञा देने का कोई मामला एफआरएल के पक्ष में और अमेज़न के खिलाफ नहीं है."
अमेजन के प्रवक्ता तुरंत टिप्पणियों के लिए उपलब्ध नहीं थे क्योंकि इसकी कानूनी टीम आदेश का अध्ययन कर रही थी. फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन किशोर बियानी ने एबीपी नेटवर्क के टेक्स्ट मैसेज का तुरंत जवाब नहीं दिया.
गौरतलब है कि सीसीआई ने पिछले महीने ही रिलायंस-फ्यूचर सौदे को मंजूरी दे दी थी, जबकि इस सौदे को सेबी और अन्य वैधानिक अनुमोदन से अनुमोदन की आवश्यकता है.
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