जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के मामले में थोडी राहत, मुनाफाखोरी पर लगाम के कायदे-कानून तय
नई दिल्लीः वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी की तैयारियों को लेकर परेशानियो का सामना कर रहे व्यापारियो को कायदे-कानून पर अमल करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने कुछ रियायत दी है. दूसरी ओर सरकार ने ऐलान किया कि 30 जून और पहली जुलाई की दरमियानी रात को भव्य समारोह में जीएसटी की शुरुआत होगी.
इस बीच, काउंसिल ने जीएसटी का फायदा उठाकर मुनाफा कमाने वालों के खिलाफ कार्रवाई का खाका तैयार कर लिया है. प्रस्तावित व्यवस्था के तहत गलत तरीके से कमाया मुनाफा वापस करने का प्रावधान तो है, लेकिन मुनाफाखोरों के खिलाफ किसी भी तरह के दंड या जुर्माने का प्रावधान नहीं किया गया है. ध्यान रहे कि संविधान में संशोधन के आधार पर पर गठित जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री हैं जबकि केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री के साथ 29 राज्यों और विधानसभा वाले दो केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुड्डुचेरी) के वित्त मंत्री या मनोनित मंत्री सदस्य होते हैं.
रिटर्न के लिए थोड़ी ऱाहत
- पूर्व निर्धारित नियमों के मुताबिक, कंपनियों, व्यापारियों या कारोबारियों मतलब जीएसटी एसेसी को अगले महीने की 10 तारीख तक रिटर्न (जीएसटीआर-1) दाखिल करने का समय दिया गया था. फिलहाल, इस मामले में अगस्त और सितम्बर के लिए थोड़ी रियायत दी गयी है. इसके तहत जुलाई के लिए नया रिटर्न फॉर्म 3बी 20 अगस्त तक और अगस्त के लिए 20 सितम्बर तक दाखिल करना होगा.
- फॉर्म 3 बी एक बेहद सरल फॉर्म है जिसमें कुल कारोबार और उनपर बनने वाले टैक्स का संक्षिप्त में ब्यौरा देना होगा और उस हिसाब से टैक्स चुका देना होगा.
- जुलाई के लिए 1 से 5 सितम्बर के बीच जीएसटीआर 1 दाखिल करना होगा जबकि अगस्त के लिए 16 से 20 सितम्बर के बीच.
- इस दौरान देरी के लिए लेट फीस और जुर्माना नहीं देना होगा.
सितम्बर और उसके बाद पूर्व निर्धारित व्यवस्था लागू रहेगी, यानी अगले महीने की दस तारीख तक रिटर्न दाखिल करना होगा.
जीएसटीआर 1 दाखिल करने के साथ ही जीएसटीआऱ 2 और जीएसटीआर 3 अपने आप कंप्यूटर जेनरेट कर देगा.
नहीं बदलेगी 1 जुलाई की तारीख तैयारियों औऱ कर की दरों को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में व्यापारी-कारोबारी आंदोलन कर रहे हैं. इनकी ये भी मांग है कि 1 जुलाई की तारीख को आगे बढ़ाया जाए. लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर से साफ कर दिया कि तय तारीख में कोई फेरबदल नहीं होगा. 30 जून की रात में जैसे ही तारीख बदलेगी यानी रात को 12 बजे एक भव्य कार्यक्रम में जीएसटी की शुरुआत की जाएगी. उम्मीद है कि ये आयोजन संसद भवन के केद्रीय कक्ष में होगा जिसमें केंद्र के साथ-साथ तमाम राज्य शामिल होंगे.
- मुनाफाखोरी पर लगाम काउंसिल की बैठक में छह नियमों को मंजूरी दी गयी जिसमें मुनाफाखोरी से जुड़े नियम भी शामिल है. नियमों के मुताबिक,
- मुनाफाखोरी से जुड़े शिकायतों पर सुनवाई, जांच और उस पर कार्रवाई का आदेश देने के लिए एक त्रिस्तरीय व्यवस्था बनेगी.
- सबसे पहले एक स्थायी समिति होगी जिसके सामने शिकायत रखी जा सकती है या जो खुद ही मामले पर विचार कर सकता है.
- दूसरे स्तर पर डायरेक्टर जनरल (सेफगार्डस) शिकायतों की जांच करेगा और तीसरे स्तर पर बनी एक शीर्ष समिति को अपनी रिपोर्ट देगा.
- सेवानिवृत सचिव की अध्यक्षता में बनी एंटी प्रॉफिटयरिंग अथॉरिटी जांच रिपोर्ट के आधार पर गलत तरीके से कमाया गया मुनाफा वापस करने का आदेश देगा.
- हालांकि नियमों के तहत गलत तरीके से मुनाफा कमाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात नहीं की गयी है.
- मुनाफाखोरी पर लगाम की व्यवस्था दो साल तक के लिए बनी रहेगी.
होटल इंडस्ट्री को राहत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जानकारी दी कि गोवा और राजस्थान सरकार के आग्रह पर होटल इंडस्ट्री के लिए जीएसटी इंडस्ट्री के प्रावधानों में फेरबदल किया गया. इसके मुताबिक,
- पहले की तरह 1000 रुपये प्रति दिन के होटल किराये पर जीएसटी नहीं लगेगा
- 1000 रुपये से ज्यादा लेकिन 2500 रुपये तक के प्रति दिन के किराये वाले होटल को 12 फीसदी की दर से जीएसटी देना होगा.
- नयी व्यवस्था के तहत 2500 रुपये से ज्यादा लेकिन 7500 रुपये तक के किराये पर जीएसटी की दर 18 फीसदी होगी. पहले 5000 रुपये से ज्यादा के किराये पर जीएसटी की दर 28 फीसदी रखी गयी थी.
- 7500 रुपये से ज्यादा के किराये की सूरत में जीएसटी की दर 28 फीसदी होगी.
इसके साथ ही तय हुआ कि एय़रकंडिशंड रेस्त्रां चाहे किसी होटल के भीतर हो या फिर बाहर, सभी पर 18 फीसदी की दर से ही जीएसटी लगेगा. पहले तय हुआ था कि 5000 रुपये से ज्यादा के प्रति दिन के किराये वाले होटल में स्थित रेस्त्रां पर पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा.
लॉटरी पर फैसला, लेकिन ईवे बिल का मामला अभी भी अधर में
बैठक में तय हुआ कि जो राज्य सरकार अपनी खुद की लॉटरी चलाते है, वहां पर जीएसटी की दर 12 फीसदी होगी जबकि निजी संस्थाओं की ओर से चलायी जा रही लॉटरी पर ये दर 28 फीसदी होगी.
फिलहाल, रविवार की बैठक में ई वे बिल के नियमों पर फैसला नहीं हो पाया. ई वे बिल एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कर के बारे में पूरी जानकारी इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में उपलब्ध होगा और कागज वगैरह साथ लेकर चलने की जरुरत नहीं होगा. काउंसिल ने तय किया कि जब तक ई वे बिल पर कोई फैसला नहीं हो जाता, तब तक राज्य सरकारें अपनी मौजूदा व्यवस्था जारी रखेंगी. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 30 जून को बुलायी गयी है.