Income Tax: आपने इनकम टैक्स से जुड़ी कई खबरें सुनी होंगी कि किसी को ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ा. ऐसा मामला सामने आया है जहां देश के एक टैक्सपेयर ने इनकम तो दिखाई 9570 रुपये की लेकिन उसको पूरे 43.5 लाख रुपये का टैक्स चुकाना पड़ा. हालांकि ये कैसे हुआ इसके पीछे एक बड़ी वजह है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे.
इनकम टैक्स अपीलैट ट्रिब्यूनल (ITAT) का नियम जाना क्या
इनकम टैक्स अपीलैट ट्रिब्यूनल का हाल ही में ये नियम आया है कि किसी नागरिक की अमेरिका में इनकम है तो उसको भारत में टैक्सेबल माना जाएगा. इसके बाद एक भारतीय नागरिक की साल 2012-13 में दिखाई गई इनकम जो कि 9570 रुपये थी, वो बढ़कर 43.5 लाख रुपये पर आ गई और ये भारत-अमेरिका के बीच हुई ट्रीटी यानी संधि के कारण हुई है क्योंकि ये शख्स है तो इंडियन सिटीजन लेकिन अमेरिका में की गई कमाई के ऊपर भारत में टैक्स लग गया.
दरअसल इसके पीछे इनकम टैक्स अपीलैट ट्रिब्यूनल का वो नियम है जिसके मुताबिक जिन नागरिकों का भारत और अमेरिका यानी दोनों देशों में रेसीडेंस है, उनके लिए टैक्स लायबिलिटी उस देश में बनेगी जहां उनके वाइटल इंटरेस्ट हैं यानी महत्वपूर्ण पक्ष हैं.
पूरा मामला क्या है समझिए यहां
इसे ऐसे समझिए कि जो ग्लोबल मोबाइल सिटीजन्स होते हैं वो अक्सर दो देशों के टैक्स रेसीडेंस के तौर पर देखे जाते हैं जैसे उदाहरण के लिए अमेरिका और भारत के सिटीजन्स..इस दोहरी टैक्स नागरिकता का मामला सुलझाने के लिए टाई-ब्रेकर टेस्ट होता है जो नागरिकों की टैक्स लायबिलिटी किस देश में है- इसका निर्धारण करती है. भारत-अमेरिका संधि में टाई-ब्रेकर टेस्ट में टैक्स चुकाने की लायबिलिटी को परमानेंट घर जैसे कारकों के आधार पर माना गया है.
इस शख्स के खास मामले में ऐसा ही हुआ क्योंकि 9570 रुपये की इनकम दिखाने वाला शख्स के पास वैसे तो दोनों देशों में घर था लेकिन उसके महत्वपूर्ण इंटरेस्ट भारत में ज्यादा देखे गए. लिहाजा वो टैक्स रेसीडेंट तो भारत के माने गए लेकिन अमेरिका में कमाई गई इनकम को टैक्सेबल माना गया.
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