Income Tax Collection Cost: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) के टैक्स कलेक्शन की लागत (Tax Collection Cost) लगातार कम हो रही है. वित्त वर्ष 2021-22 में यह लागत कुल जमा टैक्स के करीब 0.5 फीसदी के बराबर रही. यह दो दशक से भी ज्यादा समय में टैक्स कलेक्शन की सबसे कम लागत है.


अब इतनी कम हुई लागत


इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को टैक्स व इकोनॉमी से जुड़े मामलों में प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल तथा टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स यानी टीडीएस के बढ़ते दायरे से लागत को कम करने में मदद मिल रही है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में कुल कर संग्रह 14.12 लाख करोड़ रुपये रहा. वहीं टैक्स कलेक्शन की लागत इसके 0.53 फीसदी के बराबर रही.


कभी हो जाता था इतना खर्च


आंकड़ों के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को टैक्स कलेक्शन में कुछ साल पहले तक कुल संग्रह का ठीक-ठाक हिस्सा खर्च करना पड़ जाता था. वित्त वर्ष 2000-01 के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्स कलेक्ट करने के लिए कुल जमा कर के 1.36 फीसदी हिस्से के बराबर खर्च किया था. वित्त वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान यह कुल कलेक्शन के 0.61 फीसदी से 0.66 फीसदी के बीच रहा था, जबकि महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में यह थोड़ा बढ़कर 0.76 फीसदी हो गया था.


इन चीजों पर होता है खर्च


सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का मुख्य खर्च कर्मचारियों को सैलरी देने, प्रशासनिक कार्यों, आईटी एक्सपेंसेज और कुछ अन्य चीजों में होता है. हालांकि कुल जमा कर के अनुपात के बजाय कुल राशि के हिसाब से देखें तो कर जमा करने की लागत भी बढ़ी है. वित्त वर्ष 2015-16 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कर जमा करने पर 4,593 करोड़ रुपये खर्च किया था, जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 7,479 करोड़ रुपये हो गया.


टैक्स कलेक्शन में आई तेजी


आलोच्य अवधि के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कुल टैक्स कलेक्शन भी तेजी से बढ़ा है. वित्त वर्ष 2015-16 में कुल डाइरेक्ट टैक्स कलेक्शन 7.4 लाख करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 14.12 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.


इन कारणों से मिली मदद


कर मामलों के जानकारों का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हालिया प्रयासों से टैक्स कलेक्शन की लागम कम करने में मदद मिली है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कर मामलों के असेसमेंट से लेकर अन्य प्रक्रियाओं में ज्यादा टारगेटेड अप्रोच अपनाना शुरू कर दिया है. इससे विभाग को मदद मिल रही है. इसके साथ ही टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से भी लागत कम हुई है.


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