मार्च महीने के साथ-साथ मौजूदा वित्त वर्ष (FY23) का आखिरी सप्ताह आ चुका है. ऐसे में ज्यादातर करदाता टैक्स बचाने की अंतिम जुगत करने में जुटे हैं. कई करदाता ITR फाइल करने के लिए टैक्स सेविंग दस्तावेज एकत्र कर रहे हैं. इस बीच, इनकम टैक्स से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. आयकर विभाग ने हजारों मामलों को ई-वेरिफिकेशन (Income Tax E-Verification) के लिए चुना है. कई करदाताओं से नोटिस भेजकर इसका जवाब देने के लिए कहा जा रहा है, जिसने करदाताओं की चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि आखिर क्या है ई-वेरिफिकेशन और इस संबंध में मिले नोटिस का क्या किया जाना चाहिए...


इस कारण मिले नोटिस


सबसे पहले आपको बता देते हैं कि इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 68,000 मामलों को ई-वेरिफिकेशन के लिए चुना है. आरोप है कि ऐसे मामलों में आयकर रिटर्न यानी ITR में बड़ी इनकम छिपाई गई या कम करके दिखाई गई है. ये लेनदेन व्यक्तिगत और कॉरपोरेट दोनों तरह के हैं. इनके एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और आयकर रिटर्न में अंतर पाया गया है. AIS में करदाता के वित्तीय लेनदेन का सारा लेखा-जोखा होता है. इसमें बैंक जमा और शेयर खरीद-बिक्री जैसी चीजें शामिल रहती हैं.


इस स्थिति में होती है कार्रवाई


ई-वेरिफिकेशन के लिए चुने गए 68,000 मामलों में से करीब 56 फीसदी यानी 35,000 मामलों में करदाता नोटिस का जवाब दे चुके हैं या अपडेटेड रिटर्न फाइल कर चुके हैं. बाकी 33 हजार मामलों में कोई जवाब नहीं आया है. FY2019-20 के लिए अगर करदाता 31 मार्च 2023 तक अपडेटेड रिटर्न (Updated ITR) फाइल नहीं करता है या नोटिस का जवाब नहीं देता है तो आयकर विभाग एक्शन ले सकता है. अब तक करीब 15 लाख अपडेटेड रिटर्न फाइल हुए हैं और इनसे 1,250 करोड़ रुपए का टैक्स मिला है.


नोटिस का जरूर दें जवाब


ई-वेरिफिकेशन स्कीम, 2021 का उद्देश्य वित्तीय संस्थाओं से मिली जानकारी का करदाताओं की ओर से ITR में दी गई जानकारी से मिलान करना है. वित्तीय लेनदेन में मिसमैच मिलने पर ई-वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू होती है. करदाता को सेक्शन 133(6) के तहत कंप्लायंस पोर्टल के जरिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से नोटिस भेजा जाता है. उससे इस लेनदेन को रिटर्न में नहीं दिखाने के लिए स्पष्टीकरण या साक्ष्य मांगा जाता है. करदाता को कंप्लायंस पोर्टल पर ही जवाब देना होता है. विभाग या तो जवाब से संतुष्ट होगा या फिर रिटर्न अपडेट करने के लिए कहेगा.


नोटिस मिलने पर क्या करना चाहिए?


ई-वेरिफिकेशन स्कीम के तहत भेजा गया नोटिस कंप्लायंस पोर्टल पर दिखेगा. रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ई-मेल एड्रेस पर भी इसका अलर्ट भेजा जाता है. नोटिस आने के बाद आपको इनकम टैक्स के पोर्टल (https://eportal.incometax.gov.in/) पर लॉग-इन करना होगा. इसके बाद 'Pending Actions' टैब पर जाकर 'Compliance Portal' पर क्लिक करके 'eVerification' सेलेक्ट करना होगा. फिर फाइनेंशियल ईयर पर क्लिक करें. नोटिस डाउनलोड करने के लिए डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) पर क्लिक करना होगा. जवाब देने के लिए 'सबमिट' लिंक पर क्लिक करें और संबंधित दस्तावेज लगाकर सबमिट बटन पर क्लिक करना होगा.


कार्रवाई से बचने के उपाय


अगर वित्त वर्ष 2019-20 यानी असेसमेंट ईयर 2020-21 के लिए आपको ई-वेरिफिकेशन का नोटिस आया है तो 31 मार्च 2023 तक नोटिस का जवाब या अपडेटेड रिटर्न भर दीजिए. अगर नोटिस नहीं मिला है, लेकिन आप कोई आय दिखाना भूल गए हैं या ओरिजनल रिटर्न नहीं भरा है तो भी अतिरिक्त टैक्स देकर अपडेटेड रिटर्न भर सकते हैं. संबंधित असेसमेंट ईयर खत्म होने के 2 साल तक अपडेटेड रिटर्न भरा जा सकता है. 12 महीने के अंदर अपडेटेड रिटर्न भरने पर टैक्स और ब्याज के 25 फीसदी के बराबर अतिरिक्त टैक्स देना होगा. ठीक इसी तरह, 12 महीने बाद और 2 साल से पहले अपडेटेड रिटर्न जमा करने पर 50 फीसदी अतिरिक्त टैक्स भरना होगा. असेसमेंट ईयर 2021-22 के लिए 31 मार्च 2024 तक और असेसमेंट ईयर 2022-23 के लिए 31 मार्च 2025 तक अपडेटेड रिटर्न भरा जा सकता है.


इन बातों का जरूर ध्यान रखें


अगर आप असेसमेंट ईयर 2021-22 या उसके बाद के सालों में ई-वेरिफिकेशन के नोटिस से बचना चाहते हैं तो AIS और आईटीआर का मिलान करके गड़बड़ी होने पर अपडेटेड रिटर्न फाइल कर लें. संबंधित असेसमेंट ईयर के लिए अपडेटेड रिटर्न सिर्फ एक बार ही भरा जा सकता है. गलती की गुंजाइश बिल्कुल न रहे, इसके लिए आप टैक्स एडवाइजर या CA की मदद लें. ई-वेरिफिकेशन और आयकर रिटर्न को ई-वेरिफाइ करने को लेकर कंफ्यूज न करें. ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं. रिटर्न फाइल करने से पहले AIS जरूर चेक कर लें ताकि ITR भरते वक्त किसी तरह की गड़बड़ी न हो और अपडेटेड रिटर्न भरने की नौबत न आए.


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