Long Term Capital Gain Tax: वित्त वर्ष 2023-24 में शेयर्स, ज्वेलरी और अचल संपत्ति बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को कैलकुलेट करने के लिए इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) ने कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स ( Cost Inflation Index) जारी कर दिया है. इनकम टैक्स विभाग ने कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स को नोटिफाई भी कर दिया है.
शेयर्स, प्रॉपर्टी या ज्वेलरी बेचने पर टैक्सपेयर्स को जो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (Long-Term Capital Gains) बनता है उसे कैलकुलेट करने के लिए टैक्सपेयर्स महंगाई को एडजस्ट करने के बाद कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स का इस्तेमाल करते हैं. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने वित्त वर्ष 2023-24 और एसेसमेंट ईयर 2024-25 के लिए कॉस्ट ऑफ इंफ्लेशन इंडेक्स 348 तय किया है जो कि 2022-23 और एसेसमेंट ईयर 2023-24 में 331 तय किया गया था. जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में कॉस्ट ऑफ इंफ्लेशन इंडेक्स 317 था.
इनकम टैक्स विभाग हर वर्ष जून में कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स जारी करता है लेकिन इस बार इसे अप्रैल महीने में ही जारी कर दिया है. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स में सीनियर पाटर्नर रजत मोहन ने कहा कि आयकर विभाग ने इस वर्ष सीआईआई तीन महीने पहले ही अधिसूचित कर दिया, इससे अब करदाता 2023-24 की पहली तिमाही में पूंजीगत लाभ पर सही तरीसे टैक्स की गणना कर सकेंगे और एडवांस टैक्स का सही भुगतान कर सकेंगे.
कॉस्ट इंफ्लेशन इंडेक्स को इनकम टैक्स 1961 के कानून के तहत हर वर्ष नोटिफाई किया जाता है. इसी के आधार पर कैपिटल गेंस को कैलकुलेट करने के लिए कैपिटल एसेट्स के खरीद कॉस्ट तय की जाती है. किसी भी कैपिटल एसेट्स को 36 महीने से ज्यादा तक पास में रखने के बाद जब बेचा जाता है तो उसपर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बनता है. अचल संपत्ति और अनलिस्टेड शेयर्स के लिए ये समय सीमा 24 महीने है तो शेयर्स के लिए ये अवधि 12 महीने है. दरअसल किसी भी वस्तु की कीमतें बढ़ने के चलते पर्चेजिंग पावर यानि क्रय शक्ति में गिरावट आती है. कॉस्ट ऑफ इंफ्लेशन इंडेक्स का उपयोग संपत्ति के बेचने पर मुद्रास्फीति को एडजस्ट करने के बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की गणना करने के लिए किया जाता है.
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