रियल एस्टेट में बहुत सारे लोग निवेश करते हैं. ऐसे लोगों के लिए रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी यानी घर एक अच्छा विकल्प साबित होता है. कई बार लोग पहले छोटा घर खरीदते हैं. बाद में उसे बेचकर नया घर खरीदते हैं. अगर आप भी किसी कारण अपने पुराने घर को बेचने की योजना बना रहे हैं और तो आपको ये जरूर जानना चाहिए कि घर बेचने से मिलने वाले पैसे टैक्स के दायरे से बाहर नहीं हैं. मतलब उन पैसों पर भी आपकी टैक्स की देनदारी बन सकती है. आइए समझते हैं इस पूरे मामले को.


मकान बेचने से होने वाले मुनाफे को कैपिटल गेन माना जाता है और इस पर दो तरह से टैक्‍स लगता है. अगर मकान 2 साल या उससे ज्यादा अपने पास रखने के बाद बेचा जाता है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. कैपिटेल गेन की रकम पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20 फीसदी का टैक्स लगेगा. वहीं, 24 महीने से पहले मकान बेचने से हुए लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. यह मुनाफा व्यक्ति की रेगुलर इनकम में जुड़ जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से कर देना पड़ेगा.


कब और कैसे बचा सकते हैं टैक्स


आयकर कानून की धारा 54, पुराना घर बेचकर उससे होने वाली कमाई (कैपिटल गेन) से दूसरा घर खरीदने पर टैक्स से राहत देती है. यह बेनिफिट सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की स्थिति में मिलता है. आयकर कानून मानता है कि ऐसे मामलों में विक्रेता का उद्देश्य घर बेचकर कमाई करना नहीं बल्कि खुद के लिए उचित आशियाना ढूंढना है.


किस तरह की प्रॉपर्टी खरीदने पर मिलेगी टैक्स छूट?


आयकर अधिनियम की धारा 54 में स्पष्ट है कि कैपिटेल गेन का इस्तेमाल सिर्फ रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने या बनाने के लिए किया जाना चाहिए. यानी कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदने पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी. जमीन के मामले में, भूखंड खरीदकर मकान बनवाने पर कैपिटेल गैन टैक्स के बराबर रकम पर छूट का दावा किया जा सकता है. सिर्फ जमीन खरीदने पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी.


कब तक खरीदनी होगी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी?


सेक्शन 54 के तहत, टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए पुरानी प्रॉपर्टी ट्रांसफर होने की तारीख से 2 साल के अंदर नया मकान खरीदना होता है. वहीं, निर्माण की स्थिति में घर तीन साल के अंदर बन जाना चाहिए. अगर आप नया घर पुरानी प्रॉपर्टी बेचने से एक साल पहले भी खरीदते हैं तो छूट का लाभ उठा सकते हैं.


रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने पर हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को वापस दूसरी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी में निवेश करने पर सेक्शन 54 के तहत टैक्स छूट मिलती है.  एक प्रॉपर्टी के मुनाफे से दो रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदी या बनाई जाती है तो सिर्फ एक ही प्रॉपर्टी पर छूट का लाभ लिया जा सकता है. हालांकि, इसमें एक अफवाद भी है, जिंदगी में सिर्फ एक बार प्रॉपर्टी से हुए कैपिटल गेन से दो प्रॉपर्टी खरीदी जा सकती हैं, बशर्ते 2 करोड़ से ज्यादा का कैपिटल गेन न हो.


CGAS खाते में क्यों जमा करें कैपिटेल गेन?


अगर आप घर खरीदना चाहते हैं और ITR फाइल करने की तारीख तक कैपिटेल गेन का पैसा इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं तो उस पैसे को कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम (CGAS) के तहत बैंक में जमा कराना पड़ेगा. ऐसा नहीं करने पर टैक्स देना होगा. यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि कैपिटल गेन अकाउंट में पैसे रखने के बावजूद आपको दो साल के अंदर रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदनी होगी या फिर 3 साल के अंदर बनवानी होगी, वरना निर्धारित अवधि पूरा होने पर लॉन्ग टर्म कैपिटेल टैक्स देना पड़ेगा.


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