इनकम टैक्स रिटर्न भरने का नया सीजन जल्द शुरू होने वाला है. इस वित्त वर्ष के अब दो सप्ताह ही बच रहे हैं. अगले महीने यानी अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा और उसके साथ ही रिटर्न के नए सीजन की भी शुरुआत हो जाएगी. इनकम टैक्स रिटर्न भरने में कई बार लोग लापरवाही कर देते हैं. हालांकि ऐसा करना भारी पड़ सकता है, जैसा कि इस महिला के साथ हुआ है.
महिला को हुई 6 महीने की जेल
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने के चलते एक महिला का 6 महीने की जेल की सजा हो गई है. यह मामला असेसमेंट ईयर 2014-15 का है. महिला को संबंधित अवधि में 2 करोड़ रुपये मिले थे और 2 लाख रुपये टीडीएस में कट गए थे. महिला ने संबंधित वित्त वर्ष के लिए आईटीआर फाइल नहीं किया था. अब उस मामले में कोर्ट ने 5000 रुपये के जुर्माने के साथ 6 महीने की जेल की सजा सुना दी है.
क्या कहता है इनकम टैक्स का कानून
इनकम टैक्स के कानून में समय पर रिटर्न नहीं भरने की स्थिति में जुर्माने और जेल का प्रावधान किया गया है. हर बार डिपार्टमेंट रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन तय करता है. डेडलाइन के बाद आईटीआर भरने के लिए पेनल्टी देनी होती है. कुछ परिस्थितियों में टैक्सपेयर्स को कई सालों के लिए जेल भी भेजा जा सकता है. आज हम आपको यही बताने वाले हैं कि देर से आईटीआर फाइल करने के बारे में इनकम टैक्स के नियम-कानून क्या कहते हैं...
31 दिसंबर तक का मिलता है समय
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से टैक्सपेयर्स को सबसे पहले बिलेटेड रिटर्न फाइल करने की सुविधा मिलती है. इसके तहत टैक्सपेयर डेडलाइन निकल जाने के बाद भी पेनल्टी भरकर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 (4) के तहत ड्यू डेट के बाद भरे गए इनकम टैक्स रिटर्न को बिलेटेड रिटर्न कहा जाता है. संबंधित असेसमेंट ईयर खत्म होने या असेसमेंट ईयर पूरा होने से 3 महीने पहले तक बिलेटेड रिटर्न भरा जा सकता है. यानी इसके लिए टैक्सपेयर्स को हर साल 31 दिसंबर तक का समय मिलता है.
7 साल तक की जेल का प्रावधान
देर से रिटर्न फाइल करने के कई नुकसान हैं. सबसे पहले तो पेनल्टी चुकानी होती है. अगर किसी तरह की टैक्स देनदारी बनती है तो पीनल इंटेरेस्ट भी देना पड़ता है. किस तरह का टैक्स बकाया है उसके आधार पर सेक्शन 234A, 234B और 234C के तहत दंड ब्याज लगेगा. बिलेटेड रिटर्न भरने के बाद अगर किसी गड़बड़ी का पता चलता है तो टैक्सपेयर बिलेटेड ITR को रिवाइज कर सकता है. अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को उसके बाद भी संदेह होता है तो वह मामले की तफ्तीश कर सकता है और ऐसे में टैक्सपेयर को 7 साल तक की जेल भी हो सकती है.
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