क्या पिछले वित्त वर्ष के दौरान आपने भी नौकरी बदली है? अगर हो तो आपको भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे मामलों में टैक्सपेयर के पास एक से ज्यादा फॉर्म-16 आ जाते हैं और इस कारण उन्हें रिटर्न भरते समय इनकम का आकलन करने में दिक्कतें होती हैं. आज हम आपकी इस समस्या को दूर करने वाले हैं.
इन मामलों में आती है दिक्कत
सबसे पहले आपको बता दें कि हमारा फाइनेंशियल ईयर अप्रैल से शुरू होकर अगले साल के मार्च तक चलता है. अब मान लीजिए आपने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में अप्रैल से मार्च के बीच नौकरी बदली, यानी कुछ महीने कहीं काम किया और बाकी के महीने कहीं और काम किया, तो ऐसे में दोनों कंपनी से फॉर्म-16 मिलेगा. नौकरी बदलने पर दो या उससे ज्यादा फॉर्म-16 होने पर इनकम टैक्स रिटर्न कैसे भरा जाए? अब ये जानते हैं?
फॉर्म-16 में होती हैं ये जानकारियां
इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR भरने के लिए जिस दस्तावेज की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है, वह फॉर्म-16 है. फॉर्म-16 एक तरह का टैक्स यानी TDS सर्टिफिकेट है, जो इम्प्लॉयर यानी कंपनी अपने कर्मचारी को देती है. इसमें फाइनेंशियल ईयर के दौरान सैलरी से इनकम, एग्जम्शन यानी छूट और डिडक्शन यानी कटौती तथा सैलरी से काटे गए TDS (Tax deducted at Source) की जानकारी होती है.
नौकरी बदलने पर करें ये काम
अगर आप वित्त वर्ष के बीच में नौकरी बदलते हैं तो आपको सबसे पहले नए इम्प्लॉयर को फॉर्म-12B देना चाहिए. फॉर्म-12B में पुरानी कंपनी से मिलने वाली सैलरी, HRA जैसे एग्जम्शन और 80C, 80D जैसे डिडक्शन की जानकारी होती है. इसमें TDS का भी जिक्र होता है. नई कंपनी पूरे साल की टैक्स देनदारी कैलकुलेट करते वक्त इसका इस्तेमाल करेगी और कम्बाइन फॉर्म-16 जारी करेगी.
नहीं दिया फॉर्म-12 बी, तब ये करें
अगर आपने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान नौकरी बदली है और नई कंपनी को फॉर्म-12B नहीं दिया है तो ऐसे में आपको नई और पुरानी दोनों कंपनी से फॉर्म-16 मिलेगा. ऐसे में रिटर्न भरते वक्त आप दोनों फॉर्म-16 में ग्रॉस सैलरी में जो रकम दिख रही है, उसे जोड़ लें. यह आपकी ग्रॉस सैलरी हो जाएगी. इसी तरह से दोनों फॉर्म-16 से हाउस रेंट अलाउंस (HRA), LTA जैसे एग्जम्शन की रकम जोड़नी होगी, ताकि छूट की कुल रकम का पता चल सके. ग्रॉस सैलरी की रकम से अलाउंसेस घटाने पर 'इनकम चार्जेबल अंडर सैलरी हेड' आ जाएगी.
डिडक्शन के मामले में इसका रखें ध्यान
सैलरी के अलावा अगर बचत खाते या FD के ब्याज से कमाई या फिर कोई और आय है तो उसे आपको 'इनकम फ्रॉम अदर सोर्स' में दिखाना होगा, जिसके बाद आपकी ग्रॉस टोटल इनकम आ जाएगी. अगला कदम 80C, 80D जैसे डिडक्शन क्लेम करने का है. डिडक्शन घटाने के बाद जो रकम बचेगी वो 'नेट टैक्सेबल इनकम' होगी. हो सकता है कि दोनों कंपनियों ने फॉर्म-16 में एक-जैसा डिडक्शन लिया हो, लेकिन आयकर कानून के तहत आप इनकम पर एक ही बार डिडक्शन ले सकते हैं. स्टैंडर्ड डिडक्शन के मामले में भी यही नियम लागू है.
डिटेल्स का मिलान करना जरूरी
टैक्सेबल इनकम कैलकुलेट होने के बाद टैक्स देनदारी निकाल लें. दोनों फॉर्म-16 में अगर कोई TDS काटा गया है तो उसे भी रिटर्न में दिखाएं. इसके बाद कितना टैक्स बनता है उसका आपको पता चल जाएगा, जिसे आपको भरना होगा. अगर आपका TDS ज्यादा कटा है, लेकिन आपकी देनदारी कम बनती है तो रिफंड मिल जाएगा. फॉर्म-16 में कटे TDS का मिलान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर मौजूद फॉर्म-26AS और एनुअल इंफॉर्मेशन से जरूर करें. TDS कटौती की रकम समान होनी चाहिए.
सैलरी स्लिप से बन सकती है बात
कई बार आपके पास नई कंपनी से मिला फॉर्म-16 तो होता है, लेकिन पुरानी कंपनी का फॉर्म-16 नहीं होता है. ऐसे में आप चाहें तो पुरानी कंपनी से फॉर्म-16 मांग सकते हैं या फिर ऐसे मामले में आपको पुरानी कंपनी की सैलरी स्लिप की जरूरत होगी. मंथली सैलरी और एग्जम्शन को जोड़कर आपकी सैलरी से इनकम का पता चल जाएगा. इसके अलावा, फॉर्म-26AS में आपको दोनों कंपनियों से कटे TDS की जानकारी मिल जाएगी. 80C जैसे डिडक्शन क्लेम करके नेट टैक्सेबल इनकम का पता चल जाएगा.
इस गलती पर आ जाएगा नोटिस
कई लोग गलती ये करते हैं कि रिटर्न भरते वक्त मौजूदा यानी नई कंपनी से जो फॉर्म-16 मिला है, सिर्फ उसके आधार पर रिटर्न में इनकम दिखा देते हैं. इसके चलते कुछ समय बाद आपके पास डिफेक्टिव रिटर्न का नोटिस आ जाता है. ये नोटिस इसलिए आता है क्योंकि आपने दो कंपनी में काम किया, लेकिन इनकम एक की ही दिखाई, जिसके चलते इनकम में मिसमैच दिखाता है.
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