कोरोना संकट काल में लोगों को आर्थिक संकट का भी सामना कर रहा है. ऐसे में लोगों की परेशानियों को समझते हुए केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लगातार नए नए राहत पैकेज भी निकाले जा रहे हैं. इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने अब करदातों को राहत देते हुए वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-2020 के लिए इनकम टैक्स रिर्टन भरने की डेडलाइन को आगे बढ़ा दिया था जिससे 30 नवंबर तक आयकर रिटर्न फाइल किया जा सकता है. जिन लोगों ने अभी तक अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है उनके लिए ये यकीनन राहत की खबर है.


आईटीआर फाइल करते समय बरतें सावधानियां


अक्सर आयकर रिटर्न फाइल करते समय लोग गलतियां कर बैठते हैं जो काफी भारी पड़ती है. ऐसे में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरते समय कुछ सवाधानी रखऩी चाहिए. हम आपको ऐसी सात बातें बता रहे हैं जिन्हे ध्यान में रखेंगे तो आईटीआर फाइल करते समय आपसे कोई गलती नहीं होगी.


सही आईटीआर फार्म चुनना जरूरी


गौरतलब है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कई आईटीआर फॉर्म निर्धारित किए हुए हैं. ऐसे में आपको अपनी इनकम के साधन के बेस पर पूरी सावधानी से अपना तय आईटीआर फॉर्म चुनना चाहिए. ऐसा न करने पर आयकर विभाग उसे एक्सेप्ट ही नहीं करता है. आपको इनकम टैक्स के सेक्शन 139(5) के तहत संशोधित विवरणी या रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करने के लिए कहा जाएगा.


अपनी आय की एकदम सही जानकारी देना जरूरी


ये बात हमेशा याद रखे कि आप अपनी इनकम की सही जानकारी दें. यदि आप जानबूझकर या गलती से भी अपनी इनकम के सभी साधन नहीं बताते हैं तो ऐसी स्थिति में आयकर डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है. बचत खाते के ब्याज और घर के किराए से होने वाली आय जैसी जानकारियां देना जरूरी होता है. क्योंकि ये इनकम भी टैक्स के दायरे में आती हैं.


छूट प्राप्त और कर मुक्त आय की कभी भी गलत जानकारी नहीं दें


आईटीआर फॉर्म में कई कॉलम भरने के लिए होते हैं. इनमे कृषि आय, लाभांश, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर मिलने वाला डिस्काउंट का ब्यौरा अलग-अलग कॉलम में भरना होता है. यहां जरूरी है कि आप छूट प्राप्त आय और कर मुक्त आय की सही जानकारी दें. लोग अक्सर टैक्स से बचने के लिए फर्जी छूटों का सहारा लेने लगते हैं. लेकिन आपने कोई भी झूठी छूट अपनी आईटीआर में दिखाई है तो संभल जाइए क्योंकि वर्तमान समय मे आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजरों में आ चुके हैं और आप पर कार्रवाई हो सकती है.


फार्म 26ASजरूर डाउनलोड करें


फार्म 26एएस या टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट आपकी इनकम पर काटे गए टीडीए के भुगतान की जानकारी मुहैया कराता है. अपना टैक्स रिफंड क्लेम करने से पहले इसे सही से जांच लें. टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पूर्व फॉर्म 26एएस और फॉर्म 16/16A से अपनी आय मिलाने के निर्देश दिए जाते हैं. ऐसा करने से टैक्स कैलकुलेशन के दौरान गलती होने की संभावना नहीं रहती है और आप सही टैक्स रिटर्न फाइल कर पाते हैं.


टैक्स रिटर्न को Verify करना है जरूरी


टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद लोग निश्चिंत हो जाते हैं कि उनका काम पूरा हो गया लेकिन इसके बाद भी उसे वेरिफाई करना जरूरी है. इसके लिए इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल से अपने टैक्स रिटर्न को ई-वेरिफाई किया जा सकता है या फिर सीपीसी बेंगलुरू भेज कर भी वेरिफाई कराया जा सकता है.


सही पर्सनल डिटेल्स देनी चाहिए


सभी जानकारियों के साथ ही ये भी जरूरी है कि आप आईटीआर फॉंर्म में अपने नाम की स्पेलिंग, घर का एड्रेस , अपनी ईमेल व फोन नंबर जैसी जानकारी सही दें. ये आपके पैन कार्ड , आईटीआर और आधार कार्ड में एक समान होनी चाहिए. गलत जानकारी देने से आपको रिफंड मिलने में परेशानी हो सकती है.


आयकर रिटर्न भरने में देरी नहीं करनी चाहिए


वक्त पर आयकर रिटर्न भरना जरूरी होता है. आखिरी समय में रिटर्न फाइल करते हुए गलतियां होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसलिए समय रहते अपने इनकम टैक्स रिटर्न को फाइल करन चाहिए. ऐसा करने से आप खुद को पेनाल्टी लगने से भी बचा सकते हैं.



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