Jan Aushadhi Kendra: देशभर में खोले जाएंगे 10,000 जनऔषधि केंद्र, 743 जिलों को किया जाएगा शामिल, जानें क्या है प्लान
PMBJK: नए साल 2023 में सरकार ने आम आदमी को खुशखबरी दी है. देशभर में भारतीय जनऔषधि केंद्र की संख्या बहुत जल्द 10,000 होने जा रही है. पढ़िए पूरी जानकारी...
PM Jan Aushadhi Kendra By March 2024 : केंद्र की मोदी सरकार (Modi Govt) के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले औषधि विभाग (Aushadhi Department) ने देश में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (PM Jan Aushadhi Kendra - PMBJK) की शुरुआत 2017 में की गई. अब इस कार्यक्रम में देशभर के 766 जिलों में से 743 जिलों को और शामिल करते हुए 10,000 जनऔषधि केंद्र शुरू होने जा रहे हैं. इसके खुलने से आपको बहुत जल्द ही देश के कोने-कोने में आम आदमी को सस्ती दवाइयां मिल सकेंगी.
सस्ती होती है दवाएं
भारतीय जनऔषधि केंद्र पर जेनरिक दवाओं को बेचा जाता है. इनकी कीमत ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक कम होती है. सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों की संख्या मार्च 2024 तक बढ़ाकर 10,000 करने का निर्णय किया है. इन केंद्रों पर सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिलती हैं.
18,000 करोड़ रुपये की होगी बचत
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों के माध्यम से पिछले 8 वर्षों में करीब 18,000 करोड़ रुपये की बचत की गई है. सरकार ने देशभर के 766 जिलों में से 743 जिलों को शामिल करते हुए 10,000 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र चालू किए हैं.
औषधि विभाग की क्या है तैयारी
केंद्र सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत आने वाले औषधि विभाग ने नवंबर 2008 में इन केंद्रों की शुरुआत की थी. प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों ने दिसंबर 2017 में 3,000 केंद्र खोलने का लक्ष्य हासिल किया था. मार्च 2020 में इन केंद्रों की संख्या बढ़कर 6,000 हो गई. पिछले वित्त वर्ष में ये संख्या 8,610 से बढ़कर अब 10,000 हो गई है.
1,759 दवाएं और 280 सर्जरी उपकरण मौजूद
इन केंद्रों पर 1,759 दवाएं और 280 सर्जरी उपकरण उपलब्ध हैं. सरकार ने मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है. जनऔषधि केंद्रों के जरिये वित्त वर्ष 2021-22 में 893.56 करोड़ रुपये मूल्य की दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों की बिक्री की गई थी. इस तरह ब्रांडेड दवाओं की तुलना में देशवासियों के 5,300 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिली है.
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