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India Population Report 2023: जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को छोड़ा पीछे, पर क्या बड़ी आबादी साबित होगी 'डेमोग्राफिक डिविडेंड'!

India Population Report: भारत सरकार के सामने चुनौती होगी इतने बड़ी आबादी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की. जबकि हाल के दिनों में बेरोजजारी सबसे बड़ा संकट बनकर उभरा है.

India Population Report 2023: जनसंख्या के मामले में भारत ने चीन को अब पीछे छोड़ दिया है. भारत की आबादी 142.8 करोड़ हो गई है जबकि चीन 142.5 करोड़ के जनसंख्या के साथ अब भारत से पीछे है. यूएनएफपीए (United Nations Population Fund) ने डाटा जारी किया है. लेकिन इन आंकड़े के सामने आने के साथ ही भारत के लिए चिंताओं के साथ चुनौतियां भी बढ़ गई है. 

चीन से 5 गुना छोटी है भारतीय अर्थव्यवस्था 

चीन से जनसंख्या के मामले में भले ही भारत आगे निकल गया है. लेकिन आर्थिक पैमाने के हर लिहाज से भारत चीन से काफी पीछे है. चीन के अर्थव्यवस्था का आकार जहां 17.73 ट्रिलियन डॉलर है वहीं भारत के अर्थव्यवस्था का साइज केवल 3.18 ट्रिलियन डॉलर है. यानि भारतीय अर्थव्यवस्था से चीन की अर्थव्यवस्था पांच गुना बड़ी है. भारत में बेरोजगारी दर 7 फीसदी के करीब है जबकि चीन में ये 5 फीसदी से कम है. 

भारत की आबादी का केवल 57 फीसदी वर्कफोर्स में शामिल 

जनसंख्या को लेकर जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक 25 फीसदी आबादी 15 वर्ष से कम की है, तो 25 फीसदी के करीब आबादी 15 से 25 वर्ष के आयु के बीच है. भारत की औसत आय 28 वर्ष है. कुल आबादी में 65 फीसदी लोग 35 साल से कम के हैं. हमारे यहां 10 से 24 वर्ष की आयु की आबादी संख्या 26 फीसदी है जबकि चीन में केवल 18 फीसदी है. तीन दशक पहले जब चीन की अर्थव्यवस्था से रफ्तार भरना शुरू किया जब उसके कुल आबादी में से 85 फीसदी आबादी वर्कफोर्स में शामिल था. जबकि भारत में ये केवल 52 फीसदी ही हिस्सा है. वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी भारत में केवल 20 फीसदी है जबकि चीन में 61 फीसदी और ग्लोबल औसत 47 फीसदी है. भारत को अपनी बड़ी आबादी को वर्कफोर्स में शामिल करने के लिए बेहद कौशल विकास पर जोर देना होगा. यूएनएफपीए की भारतीय प्रतिनिधि एंड्रिया वोजनर के मुताबिक भारत की बड़ी आबादी उसे आर्थिक महाशक्ति बनने की क्षमता रखती है. 

बढ़ती आबादी के लिए रोजगार मुहैया कराना चुनौती 

भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. हालांकि इसके साथ-साथ कुछ बातें चिंता का सबब बनती जा रही हैं. भारत के सामने बड़ी समस्या है तेजी से वर्कफोर्स में शामिल हो रही युवा आबादी को रोजगार मुहैया कराने की. लेकिन इन युवाओं की डिग्रियां ही उनके रोजगार पाने की हसरत में रोड़ा बन रही है. ब्लूमबर्ग के रिपोर्ट में कहा है कि सबसे बड़ी समस्या योग्य लोगों की है. रोजगार के मौके हैं, कंपनियों को जरूरत भी है, लेकिन कॉरपोरेट जगत को बेहतर स्किल्ड लोग नहीं मिल पा रहे हैं.  

बढ़ाने होंगे रोजगार के अवसर 

भारत की बड़ी आबादी दोधारी तलवार के समान है. उसका फायदा उठाने के लिए देश में करोड़ों की संख्या में रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे. क्योंकि हर वर्ष लाखों लोग वर्कफोर्स में शामिल होते हैं. रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए निवेश को आकर्षित करना होगा. विशअव बैंक के रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इंवेस्टमेंट ग्रोथ 2000 से 2010 के बीच 10.5 फीसदी सालाना दर से बढ़ा था जो 2011 से 2021 के बीच घटकर 5.7 फीसदी रह गया है. इज ऑफ डूइंग बिजनेस के रैंक में सुधार के बावजूद निवेश की रफ्तार कम हुई है. केंद्र सरकार अलग-अलग सेकटरों के लिए जो पीएलआई स्कीम लेकर आई है उससे 60 लाख नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. हालांकि भारत के बढ़ते लेबर मार्केट को देखते हुए ये काफी नहीं है. 

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