अब भारत से न्यूजीलैंड जाने में नहीं लगेंगे 17 घंटे, दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट चलाने की तैयारी जोरो पर
India-New Zealand Direct Flight: भारत और न्यूजीलैंड के बीच कोई डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस नहीं होने की वजह से सफर में लगभग 17 घंटे या उससे ज्यादा का वक्त लग जाता है.

India-New Zealand Direct Flight: भारत और न्यूजीलैंड के बीच अगले तीन सालों में डायरेक्ट फ्लाइट की सेवा शुरू हो सकती है. एयर इंडिया और एयर न्यूजीलैंड साल 2028 के अंत तक दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान की सेवा शुरू करने की संभावना तलाश रहे हैं. यह दोनों एयरलाइंस के बीच हुई एग्रीमेंट का एक हिस्सा है ताकि दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर हो और संपर्क को बढ़ावा मिले.
दोनों एयरलाइंस ने MoU पर किए हस्ताक्षर
क्षरर इंडिया और एयर न्यूजीलैंड ने कोडशेयर पार्टनरशिप के लिए एक MoU पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाना है. मौजूदा समय में भारत और न्यूजीलैंड के बीच कोई सीधी उड़ान सेवा नहीं है. इसके लिए यात्रियों को वाया साउथ-ईस्ट एशिया और ऑस्ट्रेलिया से होकर गुजरना पड़ता है. इन सबके चलते कुल ट्रैवल टाइम 17 घंटे या उससे अधिक हो जाता है. स्टार एलायंस के मेंबर्स ये दोनों एयरलाइंस पर्यटन, व्यापार और शिक्षा के लिए भारत और न्यूजीलैंड के बीच सफर की अधिक डिमांड होने की संभावनाएं देखते हैं.
न्यूजीलैंड में बड़ी संख्या में भारतीय
न्यूजीलैंड में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं. यहां रहने वाले जातीय समूहों में तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा भारतीयों का है. न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की मौजूदगी में मुंबई में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद दोनों एयरलाइनों ने कहा, एमओयू में भारत, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच 16 मार्गों पर एक नई कोडशेयर पार्टनरशिप का जिक्र किया गया है, इससे यात्रियों के लिए दोनों देशों के बीच सफर के लिए अधिक सुविधाजनक और कई विकल्प मिलेंगे.
यात्रियों को ये होगा फायदा
इसके चलते यात्री दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई से सफर कर सकेंगे और सिडनी, मेलबर्न या सिंगापुर से ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च, वेलिंगटन और क्वीन्सटाउन के लिए एयर न्यूजीलैंड की फ्लाइट्स से जुड़ सकेंगे. एमओयू के तहत एयर न्यूजीलैंड और एयर इंडिया 2028 के अंत तक भारत और न्यूजीलैंड के बीच डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस शुरू करने पर विचार करेंगे, बशर्ते नए विमानों की डिलीवरी हो और संबंधित सरकारी नियामक से मंजूरी मिल जाए.
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