भारत ऐसे बनता जा रहा वैश्विक अर्थव्यवस्था का लीडर, सरकारी नीतियों से लेकर ग्लोबल आर्थिक बदलावों से खुला प्रगति का रास्ता
India The Global Economic Leader: अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि चीन के बजाए भारत एशिया का विकास इंजन बनकर उभरेगा. यह दर्शाता है कि विपरीत परिस्थितियों में देश कितनी आसानी से सफलता हासिल कर रहा है.
India The Global Economic Leader: अब विश्व की प्रमुख एजेंसियां भी कहने लगी हैं कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था का ‘लीडर’ बनकर उभर रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2023 में भारत की विकास दर 6.3 फीसदी रही जबकि अमेरिका समेत कई विकसित देशों में यह दर दो फीसदी से कम थी. अमेरिका में दो बड़े बैंक सिग्नेचर बैंक और सिलिकन वैली बैंक डिफॉल्टर हो गये, चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवर ग्रांड डिफॉल्टर हो गयी. यह दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की हालत है किंतु क्या भारत में ऐसा कोई उदाहरण मिला है? जवाब है नहीं...ये भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और बढ़त दोनों को दिखाता है. इसी पर यहां विस्तार से चर्चा करेंगे-
देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर सरकार की पैनी नजर
आईएमएफ ने कहा है कि चीन की जीडीपी आठ फीसदी, अमेरिका की जीडीपी 5.1 फीसदी हो सकती है और भारत की अनुमानित विकास दर 11.5 फीसदी होगी, ये विश्व अर्थव्यवस्था की अगुवाई कर सकता है. इसका मतलब है कि हम विश्व अर्थव्यवस्था के लीडर बन कर सामने आते जा रहे हैं. केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विभिन्न नीतियों के कारण हुए विकास के चलते, अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर धीमी पड़ने के चलते ये स्थिति आ सकी है, इस बात को समझना चाहिए.
चीन के बजाए भारत एशिया का विकास इंजन बनेगा
मोबाइल फोन की संख्या बढ़ने, मोबाइल फोन सैट का आयात घटने, वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ अब इस बात की चर्चा होने लगी है कि चीन के बजाए भारत एशिया का विकास इंजन बनकर उभरेगा. पिछले महीने दीपावली और छठ पर्व के दौरान देश में चार लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए, जिनमें छोटे सामान, घर के सामान, बरतन और सोना-जेवर की खरीद शामिल हैं. पिछले नौ साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यवस्थित नीतियां बनायी हैं. इस संदर्भ में जनधन खातों में जमा कराई गयी धनराशि का उल्लेख करना जरूरी है जो कि एक गेमचेंजर स्कीम थी.
1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर एक अरब डॉलर पर था
मंगलवार को राजयसभा में बीजेपी सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने साल 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर एक अरब डॉलर हो जाने और सोने को गिरवी रखे जाने की याद दिलाते हुए कहा है, "एक 91 की दिवाली थी...एक वो भी दिवाली थी जब उजड़ा हुआ गुलशन था और रोता हुआ माली था, और एक यह भी दिवाली है जब महका हुआ गुलशन है और ज्योति निराली है." हमें यह भी देखना चाहिए कि देश में दूसरी तिमाही में भारतीय रिजर्व बैंक ने 6.2 फीसदी की वृद्धि होने की बात कही थी लेकिन वास्तव में वृद्धि 7.6 फीसदी की हुई. यह विकास का नतीजा है."
भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा
उन्होंने आईएमएफ सहित कई प्रसिद्ध विदेशी एजेंसियों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है जबकि विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाएं नीचे की ओर जा रही हैं. चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी सदस्य सुशील मोदी ने कहा "अगर विकास का असर दिखाई नहीं देता तो तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों में जनादेश बीजेपी के पक्ष में कैसे गया?
भारत की अर्थव्यवस्था का विकास सराहनीय है
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में मौजूदा वैश्विक परिदृश्य की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि दुनिया भर में महंगाई के विरोध में लाखों लोग सड़कों पर उतर आए लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ क्योंकि "हमारे यहां महंगाई है लेकिन लोगों को महंगाई के कारणों की भी जानकारी है." बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थ, खाद्य तेल, उर्वरक, दाल आदि महंगाई के मुख्य कारण हैं और हम इनका आयात करते हैं. उन्होंने कहा, "दो साल में पेट्रोल व डीजल के दाम नहीं बढ़े लेकिन विपक्ष शासित राज्यों में पेट्रोल की कीमत बीजेपी शासित राज्यों की तुलना में कहीं अधिक है."
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