Wheat Export: रूस-यूक्रेन संकट (Russia-Ukraine Crisis) से वैसे तो भारत के बाजारों (Indian Market) और आर्थिक मोर्चे पर आगे के परिदृश्य के लेकर नकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. हालांकि एक सेक्टर ऐसा है जो इस संकट से लाभांवित हो सकता है, वो है गेहूं का निर्यात (Wheat Export).  


भारत को ज्यादा गेहूं निर्यात करने का मौका मिल सकता है
रूस-यूक्रेन संकट भारत को वैश्विक बाजारों को अधिक गेहूं का निर्यात करने का अवसर दे सकता है और घरेलू निर्यातकों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. भारत के केंद्रीय पूल में 2.42 करोड़ टन अनाज है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना है.


गेहूं का विश्व में सबसे बड़ा निर्यातक है रूस-युद्ध से इसपर फर्क पड़ेगा
दुनिया के गेहूं के निर्यात का एक-चौथाई से अधिक हिस्सा रूस और यूक्रेन से होता है. रूस गेहूं का विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है, जिसका अंतरराष्ट्रीय निर्यात में 18 फीसदी से अधिक का योगदान है. साल 2019 में रूस और यूक्रेन ने मिलकर दुनिया के एक-चौथाई (25.4 फीसदी) से अधिक गेहूं का निर्यात किया.


जानिए आयात के आंकड़े
मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश ने रूस से आधे से ज्यादा गेहूं खरीदा. मिस्र दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा आयातक है. यह अपनी 10 करोड़ से अधिक की आबादी को खिलाने के लिए सालाना चार अरब डॉलर से अधिक खर्च करता है. रूस और यूक्रेन, मिस्र की आयातित गेहूं की 70 फीसदी से अधिक मांग को पूरा करते हैं.


भारत और अधिक निर्यात करने की स्थिति में क्यों है
तुर्की, रूसी और यूक्रेनी गेहूं पर भी एक बड़ा खर्च करने वाला देश है. साल 2019 में इन दोनों देशों से उसका आयात 74 फीसदी या 1.6 अरब डॉलर रहा. सूत्रों ने कहा, ‘‘यूक्रेन का संकट भारत को अधिक गेहूं निर्यात करने का अवसर दे सकता है, बशर्ते हम और अधिक निर्यात करें, क्योंकि हमारा केंद्रीय पूल 2.42 करोड़ टन का है, जो बफर और रणनीतिक जरूरतों से दोगुना है.’’


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